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सुस्वागतम

आपका हार्दिक स्वागत है, आपको यह चिट्ठा कैसा लगा? अपनी बहूमूल्य राय से हमें जरूर अवगत करावें,धन्यवाद।

July 16, 2009

हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैने सोचा था

शाम यही कोई साढ़े पाँच बजे घर लौटे थे, पेट में चूहे वर्ल्ड कप जीत चुके थे, बहुत दिनों के इंतजार के बाद वर्षा रानी का मूड ठीक हुआ है और बम्बईवासियों ने राहत की सांस ली है। बरखा रानी ने घर की बाहरी दिवारें धो पौंछ दी हैं और कमरे के अंदर की छत पर भी सो चार हाथ चला दिए हैं। टी वी पर न्यूज चैनल चला कर हम खाने की प्लेट लिए सोफ़े पर अलसाये से पसरे पड़े थे कि मोबाइल की घंटी टनटना उठी। हैल्लो कहा तो दूसरी तरफ़ से घुघूती जी की आवाज खनखना उठी,
"हम आप के इलाके में हैं"।
एक क्षण में सारा आलस्य काफ़ूर हो गया, सोफ़े से लगभग उछल कर उठते हुए हमने पूछा
"आप का ड्राइवर लोकल आदमी है"?
हाँ!
"ड्राइवर को फ़ोन दीजिए"
ड्राइवर को हमने समझाया कि कैसे आना है, पता चला कि वो मेरे घर से पांच मिनिट की दूरी पर हैं। अभी हम नौकरानी को बता ही रहे थे कि क्या बनाओ कि घंटी बजी और घुघूती जी और घुघूता जी दरवाजे पर थे। हम घुघूती जी को पहली बार देख रहे थे,नहीं नहीं देखा तो बाद में, दरवाजा खुलते ही घुघूती जी ने गले जो लगा लिया। एक दूसरे से मिल हम दोनों इतनी आनंदित हो रही थी कि बिन बात के हंस रही थी, सही कहना ये होगा कि छोटी बच्चियों की तरह गिगल कर रही थीं। उनके पतिदेव हम दोनों की मनोस्थिति समझ कर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे। हमने घर आ कर अभी घर की खिड़कियां भी नहीं खोलीं थी, जल्दी जल्दी उन्हें बिठा कर हमने खिड़की खोली, बरखा में भीगी ताजी हवा का झोंका तन मन को सरोबार कर गया। घुघूती जी से न रहा गया और वो बाल्कनी की ओर खिचीं चली गयीं। कहने सुनने को इतना कुछ था हम दोनों के पास कि डेढ़ घंटा कैसे बीत गया पता ही न चला।




कुछ दिन पहले जब अचानक घुघूती जी ने वेरावल से फ़ोन दनदनाया था और कहा था कि मैं बोम्बे आने वाली हूँ, हम पहली बार उनकी आवाज सुन रहे थे, मन में एक उत्सुकता थी कि घुघूती जी कैसी दिखती होगीं, कैसे बात करती होगीं, क्या वो वैसी ही होगीं जैसी मेरी कल्पना में हैं या कुछ और्। ये उत्सुकता इस लिए भी ज्यादा थी क्युं कि मैने आज तक नेट पर घुघूती जी की या उनके परिवार के किसी सद्स्य की कोई फ़ोटो नहीं देखी थी। लेकिन चैट पर न जाने कितने घंटे हम उनसे बतियाये हैं। उनसे इतनी ढेर सारी बातें कर मुझे अक्सर ऐसा लगा कि उन में और मुझ में काफ़ी कुछ एक जैसा है( अब ये मत पूछिए कि क्या?) उनके सेंस ऑफ़ ह्युमर ने हमारी दोस्ती को जोड़ने में सीमेंट का काम किया है।


घुघूती जी कुछ महीनों के लिए बोम्बे शिफ़्ट हो रही हैं, कुछ एक हफ़्ता पहले वो फ़ोन पर बम्बई के अलग अलग इलाकों के बारे में पूछताछ कर रही थीं, हम भी लोभ रोक नहीं पाये और उनको विश्वास दिलाया कि जिस इलाके में हम रहते हैं उनके लिए वही सबसे अच्छा इलाका है। कल जब उन्हों ने कहा कि हम बम्बई पहुंच गये हैं तो मन किया कि सब काम धाम छोड़ उनसे मिलने चले जाएं, लेकिन ऐसा करना मुमकिन न था। खैर हमने उनके नबी मुंबई में मकान देखने का जुगाड़ जमाया। दूसरे दिन कम से कम फ़ोन पर मिलने का वादा किया। दूसरे दिन उन्हें फ़ोन करने का इरादा बनाते बनाते दिन शाम में ढल गया। हम बहुत गिल्टी महसूस कर रहे थे और सोच ही रहे थे कि उन्हें फ़ोन लगाये। लेकिन जब कुछ मिनिट बाद उन्हें अपने दरवाजे पर खड़ा देखा तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनसे मिलने का सपना सच हो गया। बाय द वे वो बिल्कुल वैसी हैं जैसा मैने सोचा था

32 comments:

अनिल कान्त said...

जब कोई हमारी सोच के जैसा निकलता है तो दिल और भी खुश होता है ...अच्छा लगा पढ़कर और हाँ आंटी जी आपकी मुस्कराहट बहुत प्यारी है.

Udan Tashtari said...

घघूति जी बम्बई में..अब तो लगता है हम भी मिल सकेंगे अगली यात्रा में आपके मिलने के साथ. आपका कम लिखना अखर रहा है..और यह सच है. सच मैं कम ही लिखता हूँ... :) आप तो जानती हैं, मिल चुकी हैं न!!

उन्मुक्त said...

बहनों का मिलन अच्छा लगा।

लेकिन विज्ञापन ने शुरू की पंक्तियां नहीं पढ़ने दीं।

कुश said...

कुछ पालो को बयां किया जाना कितना मुश्किल होता है ना..

दिनेशराय द्विवेदी said...

मिलन का यह दृश्य कैसा रहा होगा? सिर्फ कल्पना की जा सकती है। जैसे सपना साकार हो गया हो।

Sanjeet Tripathi said...

वा जी वा, जे तो अच्छा मिलन हो गया, बधाई हो आप दोनों को।

प्रतीक्षा रहेगी और विवरण की

Gyan Dutt Pandey said...

मन में एक उत्सुकता थी कि घुघूती जी कैसी दिखती होगीं, कैसे बात करती होगीं
--------
वास्तव में यह उत्सुकता बहुत रहती है।
पर उससे ज्यादा उत्सुकता मुझे अपने बारे में रहती है - कितना शुष्क मुझे लोग समझते हैं और अन्तत: कितना पायेंगे!

कंचन सिंह चौहान said...

ये लो मैं इंतज़ार कर रही हूँ कि मुझे खबर लगेगी कि पहुँच गईं....! और आप लोग वहाँ मिलने मिलाने भी लगे। :(

PD said...

"बाय द वे वो बिल्कुल वैसी हैं जैसा मैने सोचा था"
vaise aapne kaisa socha tha aunty ji ye to aapne bataya hi nahi?? :)

Udan Tashtari said...

वैसे घघूती जी की खनखनाती आवाज तो हमने भी सुनी है फोन पर..बस, मुलाकात न हो पाई. अफसोस है जिसकी भरपाई तो करके रहूँगा उनसे मुलाकात कर.

Udan Tashtari said...

@ ज्ञान दत्त जी

हम तो आप से मिल चुके हैं. आप खाम खाँ परेशां हैं..आप तो बहुत रसीले लगे. शुष्क का ख्याल कैसे मन में आया?? :)

अफ़लातून said...

उन्मुक्तजी जैसे भाव उठे । यह है बहनापा !
दो बार आप से मिलना न हो पाया और घू.बा.जी की मुम्बई में सिर्फ़ आप से ही भेंट हुई ।
आवभगत की तफ़सील यहां से नहीं मालूम होगी । उसके लिए घू.बा. की पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी ।

Arvind Mishra said...

-बगल में ही विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली का भरत मिलाप होता है ,याद हो आया !

डॉ .अनुराग said...

चलिए इस सीमेंट में फेविकोल का जोड़ लगा रहे .....हम यही कामना करते है......

Anonymous said...

वाह! क्या बात है!! द्विवेदी जी की बात दोहराने का मन हो रहा।

घुघूती जी की खनखनाती आवाज़ तो सुनते ही रहते हैं फोन पर। अब अगले महीने अगस्त मे मुम्बई आना हो रहा है। आप दोनों से भी मिलना हो जायेगा। हमने भी तो अभी तक रोबदार आवाज़ ही सुनी है आपकी।

वैसे PD की जिज्ञासा का जवाब मिल जाये तो बढ़िया

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बडी खुशी हुई ये समाचार पढकर -घूघुती जी से मेरी भी नमस्ते कहीयेगा -
परिवार आराम से बस जाये तो खबर करीयेगा स्नेह सहीत,
- लावण्या

Satish Saxena said...

रोचक संस्मरण ....

Batangad said...

क्या बात है। चलिए बंबई आने पर मुलाकात की संभावना बनेगी

Abhishek Ojha said...

क्या बात है ! सुखद मिलन की अनुभूति तो हम तक भी पहुच गयी.

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर संसमरण!

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया लगा पढकर .. आज ही घुघुती बासुती जी के ब्‍लाग से इस पोस्‍ट का लिंक मिला .. आपने शरबत और पकौडे में क्‍या मिलाया था .. अभी तक मिलन का नशा उतरता नहीं दिखाई दे रहा ।

P.N. Subramanian said...

हम एहसास कर सकते हैं कि कितने मधुर रहे होंगे वे क्षण.घुघूती जी के ब्लॉग पर तो जाना होता है पर आप के में कभी आना न हुआ. समझ में नहीं आ रहा, ऐसा क्यों हुआ. अभी अभी घुघूती जी के ब्लॉग को पढ़ा और वहां उनके द्वारा दिए गए लिंक के सहारे यहाँ आ गया. दोनों ही जगह एक जैसी बात. भाषा भी लगभग एक सी. वास्तव में आप दोनों की एक जैसी सोच है. हम भोपाल में रह रहे हैं. मुंबई में घुघूती जी से मिलने की बात हुई है. यदि आप की अनुमति हो तो आप से भी मिल लेंगे. हम कोप्परखैरने में कुछ दिन रहेंगे.

Anita kumar said...

घुघूती जी का धन्यवाद करना होगा जिनकी वजह से हमें नये दोस्त मिल रहे हैं और पुराने दोस्त भी हमारी दोस्ती को पुरानी किताब की तरह झाड़ पौंछ रहे हैं

शोभना चौरे said...

aapke blog par phli bar hi aana hua hai par bhut achha lga aapka miln sansmrn .
dhnywad

Asha Joglekar said...

Bahut dino bad aapne kuch likha hai aur wah bhee friendship day ke awasar par dost se milan ke bare men. Padh kar bahut achcha laga. kaisa abhootpurwa drushya raha hoga jab gehare dost pehali bar ru-baru
ho rahen hon.

डॉ महेश सिन्हा said...

नमस्कार वह क्या बात है
और ये लोग आपको आंटी जी क्यों कह रहे हैं :)

shama said...

मुंबई आती जाती हूँ ..गर चाहूँ ,तो मिल सकती हूँ ?

एक बिनती लेके आयी हूँ ...मैंने तथा नीरज कुमार जी ने , एक मिला जुला प्रश्न मंच शुरू किया है ..सामाजिक सरोकार को मद्दे नज़र रखते हुए ..गर आप उसमे शामिल हों तो , बड़ी हौसला अफ़्ज़ायी होगी ..और शुक्र गुज़ारी भी ..उसका अलगसे लिंक भेज दूँगी ..
सिर्फ़ कभी कबार आपके मनमे कुछ बात उठे,तो वहाँ लिख दें!मुझे गर ऐ-मेल ID मिल जाए तो मै, आपको निमंत्रण भेज सकूँ...

http://shamasansmaran.blogspot.com

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http://kavitasbyshama.blogspot.com

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http://shama-baagwaanee.blogspot.com

http://shama-kahanee.blogspot.com

shama said...

http://shama-shamaneeraj-eksawalblogspotcom.blogspot.com/

Ye link hai, jiske bareme maine aapko bataya..intezaar rahega..nabhee likhna chahen,kabhi padhke comment karen,to bhee ek silsila jaaree rahega..

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

मिलन की बहुत बहुत बधाई....

Riya Sharma said...

जी अनीता जी ..

बेहद ख़ुशी होती है..मित्रों से मिलकर....इसका अंदाजा मैं भी लगा सकती हूँ...
आपके ब्लॉग पर आज ताऊ जी के कहने पर आयी हूँ...

बहुत सहज व अच्छा लगा यहाँ आना...:)

सादर !!!

Anonymous said...

ये आत्मीय ब्लॉगर्स मीट पसंद आई।
वैज्ञानिक दृ‍ष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।

शरद कोकास said...

शब्दों का सफर पर आपके योगदान को रेखांकित करते हुए लेख मे आपका नाम पढकर यहाँ पहुंचा हूँ । आपको बधाई एवं शुभकामनायें -शरद कोकास ,दुर्ग, छ.ग..