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September 28, 2008

आवाज़: चलो, एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों

आवाज़: चलो, एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों

12 comments:

Ghost Buster said...

महेंद्र कपूर का नाम सुनते ही यही गीत याद आता है. शायद ये उनका सबसे उम्दा गीत है.

श्रद्धांजलि!

नीरज गोस्वामी said...

अनिता जी...महेंद्र कपूर जी के चले जाने से जो क्षति हुई है संगीत जगत में उसकी भरपाई असंभव है...सबने उनके बहुत से प्रसिद्द गानों का जिक्र किया है..जो मुझे भी पसंद हैं..और "चलो एक बार.." तो बहुत ही अधिक लेकिन उनका गाया "ये हवा ये हवा ये हवा, है उदास जैसे मेरा दिल..."और..पुतरा ठंडे ठंडे पानी से नहाना चाहिए"...का जवाब नहीं.
नीरज

समयचक्र said...

महेंद्र कपूर का निधन अपूरणीय क्षति है

MANVINDER BHIMBER said...

hi di,
geeton se bahut kuch yaad aa gay....
esse geet ab nahi sunne ko mil sakte....
kai nai baate bhi jaani...
thanx 4 naice post

Udan Tashtari said...

श्रृद्धांजलि!!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सादर नमन !
स्व. महेन्द्र कपूर जी के गीत सदा दिल मेँ बसे रहेँगेँ उनकी यादोँ के सँग !
-लावण्या

Satish Saxena said...

शायद अच्छा हो, कुछ वाकई प्यार कर सकें .....
शुक्रिया अनीता जी !

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

aapka bahut shukriya...

दिलीप कवठेकर said...

चलो एक बार फिर से, अजनबी बन जायें हम दोनों..

क्या करें, उन यादों को, उन लम्हों को, जो उनके साथ बिताये..

दीदा-ए-तर को क्या करूं..

Harshad Jangla said...

Anitaji

Nice post.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA

Abhishek Ojha said...

आज ही टिपिया के आया मनीषजी के ब्लॉग पर की महेंद्र कपूर का नाम सुनते ही ये गाना दिमाग में आता है और आपने इधर सुना दिया ! क्या कोइंसीडेंस है !

BrijmohanShrivastava said...

दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ ""