आप लोगों की बात मानते हुए, इस कहानी को थोड़ा और आगे ले जा रहा हूँ। छह में से चार सिफ़ारिश के पत्रों को यहाँ पेश करना चाह रहा था। इनमे से तीन कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षक के लिखे हुए थे और चौथा उसके नाटक का दिग्दर्शक का लिखा हुआ था। दो और हैं जिनपर "गोपनीय़" का छाप लगा हुआ था और उनकी प्रतियाँ हमें उपलब्ध नहीं हुई। दोनों बेंगळूरु के कला और साहित्य के क्षेत्रों में बड़ी हस्तियाँ माने जाते हैं। इन लोगों ने क्या लिखा था, नकुल को भी नहीं पता था लेकिन विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि दोनों ने नकुल की ज़ोरदार तारीफ़ की थी।
नकुल का लिखा हुआ निबन्ध मेरे पास अब नहीं है। उसे भी यहाँ प्रस्तुत करना चाहता था। नकुल को यों ही एक चिट्टी लिखी थी मैंने, इसकी एक प्रतिलिपि की माँग करते हुए। लगता है कि वह भाँप गया है कि मैं क्यों पूछ रहा हूँ। तपाक से उत्तर दिया है कि यह सभी Rhodes Trust के निजी और गोपनीय दस्तावेज़ हैं और इसे किसी सार्वजनिक मंच पर छापना वर्जित है। उसका कहना सही है। इस कारण, चाहते हुए भी, उन्हें ब्लॉग पर पेश नहीं करूँगा। यदि भविष्य में कभी अवसर मिला, और रुचि रखने वालो ब्लॉग जगत के मेरे नये मित्रों से भेंट होती है, तो अवश्य पढ़वाऊँगा।
एक दिन उसे पता चल ही जाएगा कि मैं अनिताजी के ब्लॉग पर क्या क्या उसके बारे में लिखा हूँ। अवश्य मुझे कोसेगा यह कह्कर "अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू" वाली बात हुई न यह? क्यों शरमिन्दा कर रहे हैं आप मुझे?" मैं कोई उत्तर नहीं दूँगा। इस उम्र में हमारी मानसिक स्थिति वह क्या समझेगा? एक बाप को उसकी आशाएं, सपने और आकांक्षाएं अपने होनहार बेटे के जरिए साकार होता देखकर जो मन की स्तिथी वह तब समझेगा जब स्वयं एक और भी होनहार बेटा या बेटी का बाप बनेगा, भविष्य में।
नकुल आजकल छुट्टी मना रहा है और सुना है कि Oxford से कुछ दूर, एक गाँव में, अपने नए अन्तरराष्ट्रीय दोस्तों के साथ किसी खेत में अतिथि बनकर एक आधुनिक मकान में रह रहा है और वहाँ खेती, और पशु पालन के काम में अपने यजमान का हाथ बँटा रहा है। सब तरह का अनुभव चाहता है वह। मेरी पत्नि (जो आजकल USA में मेरी बेटी के साथ रह रही है, कुछ समय के लिए) टेलिफ़ोन पर आज इसकी सूचना दी थी। नकुल को पैसा नहीं मिल रहा लेकिन रहने और खाने पीने का पूरा और नि:शुल्क इन्तज़ाम यजमान ने कर दिया है। चलो अच्छा हुआ। आजकल शहर के बच्चे किसी किसान या ग्वाला को गाय का दूध दुहाते देखा भी नहीं होगा। आशा करता हूँ कि नकुल को स्वयं किसी स्वस्थ गोल-मटोल अंग्रेज़ी गाय से दूध दुहाने का अनुभव भी मिल जाएगा।
6 comments:
मैंने आज् एक् से लेकर पांच तक् सभी भाग् पढ़े। बहुत् अच्छा लगा नकुल् के बारे में जानकर्। अनीताजी का शुक्रिया कि उनके माध्यम् से नकुल् के बारे में जानकारी मिली। विश्वनाथजी को बधाई कि उनका बेटा उनकी सारी अपेक्षायें पूरी कर् रहा है। नकुल् के सुन्दर्, शानदार् भविष्य के लिये मैं शुभकामनायें देता हूं।
एक सुखद अनुभव रहा नुकुल के बारे में सारा कुछ पढ़ना.
अनेकों शुभकामनाऐं.
मैंने नकुल के बारे में जितना कुछ आपने लिखा सब पढ़ा....इश्वर से प्रार्थना है की हर माँ बाप को नकुल जैसा बेटा दे...और क्या कहूँ.
नीरज
अनीताजी आपको बहुत बहुत धन्यवाद, सचमुच नकुल के संबंध में प्रकाशित यह जानकारी भविष्य में बच्चों के काम आयेंगी । विश्वनाथजी को भी हम आभार कहेंगें जो कि उन्होंनें अपने व अपने पुत्र के संबंध में जो जानकारी दी उसमें आत्मप्रवंचना का पुट किंचित भी नहीं था ।
नकुल का कैरियर दूसरे महत्वाकांक्षी लड़कों के लिए प्रेरणादायी होगा। साथ ही अभिभावकगण भी अपने बच्चों की परवरिश करते वक़्त विश्वनाथ जी की बातों का ध्यान रखें तो इससे लाभान्वित हो सकते हैं। अनिता जी को उन्हें यहाँ लाने के लिए धन्यवाद।
nakul ke vishay me padha.kafi accha laga. aapne jis khoobsoorati se nakul ke vishay me likha vastav me taarif ke laayak....pahli baar blog par aaya accha laga
Post a Comment