चौदह वक्ता थे तो रिपोर्ट बहुत छोटी तो नहीं हो सकती न फ़िर भी कौशिश यही रही है कि सिर्फ़ कुछ कुछ विषयों के बारे में रिपोर्टिंग करें…॥झेलिये :)
श्री. प्रदीप विजयकर टाइम्स ऑफ़ इंडिया से,ने इस बात को माना कि तकनीक का अग्रिम दोहन किया जाना चाहिए और हमें प्रौद्योगिकी को वश में रखना चाहिए न कि उसका दास होना चाहिए। प्रौद्योगिकी आज कम समय में हर प्रकार की जानकारी प्रदान करता है. लेकिन ये भी सत्य है कि आज तकनीक के गलत इस्तेमाल ने अनुसंधान, खोज की उत्तेजना, प्रयोग की खुशी को मार डाला है।
आलोक जी ने कहा कि आज मीडिया अब छह महीने की अवधि को दीर्घकालिक निवेश के रूप में बता रहा है जब कि अल्पकालिक निवेश में कम से कम 5 वर्षों की अवधि के समय चाहिए। अगर कोई शेयर मार्केट में कम से कम दस साल तक निवेशित रहे तभी उसके पैसे डूबने की संभावना नगण्य होगी।
दूसरे, मीडिया ने भी सिर्फ़ शेयर बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर रखा है जब कि म्युचुअल फंड, बीमा, सूचकांक कोष आदि पर ध्यान देना चाहिए।
श्री हर्षवर्द्धन त्रिपाठी जी ने वित्तीय बाजार के प्रति जागरुकता में मीडिया की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि अतीत में लोगों की राय थी कि शेयर बाजार की गतिविधियाँ जुए के समान हैं। 2004-05 में सी एन बी सी आवाज पहला व्यापार चैनल था जो वित्तीय बाजार के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए और मध्यम वर्ग को शेयर मार्केट में उतरने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरु किया गया था और मीडिया के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है। इससे पहले शेयर मार्केट में मध्यम वर्ग की भागीदारी सिर्फ़ बम्बई और गुजरात के कुछ शहरों तक सीमित थी। लेकिन सी एन बी सी आवाज और जी बिजनेस जैसे चैनलों की बदौलत न सिर्फ़ भारत के हर कोने में और हर छोटे शहरों तक शेयर मार्केट के कार्य प्रणाली की जानकारी पहुंची,बल्कि ऐसे लोगों तक भी पहुंची जो अंग्रेजी नहीं जानते थे। और हम सब जानते हैं कि भारत की 85% जनता अंग्रेजी नहीं जानती। अंततः,लोगों के विचार बदले और लोगों की आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शेयर बाजार के कारोबार पर लग रहा है, उनकी जीवन शैली में सुधार हुआ है।
हर्ष जी ने माना कि सी एन बी सी आवाज अपने नफ़े को ध्यान में रख कर ही कार्यक्रम शुरु करता है लेकिन इस बात को भी नहीं भुलाया जा सकता कि सी एन बी सी आवाज के कार्यक्रमों ने जहां एक तरफ़ वित्तीय बाजार के बारे में स्कूल के छात्रों को शिक्षित किया है, वहीं सास बहू जैसी ग्रहणियों की रुचि को भी शेयर मार्केट के प्रति जाग्रित किया है। जाहिर है अब भारी संख्या में लोग शेयर बाजार में भाग ले रहे हैं। यह शेयर बाजार के कामकाज में लोकतंत्रीकरण और पारदर्शिता लाने में मदद करता है.
श्री रविशंकर श्रीवास्तव जी ने साइबर पत्रकारिता और ब्लॉगिंग के तकनीकी पहलुओं की एक समग्र जानकारी दी।
श्री मंगेश करांदीकर ने ब्लॉग पर उपलब्ध जानकारी परंपरागत मीडिया खबर के रूप में क्युं नहीं इस्तेमाल कर सकता इस के कारण बताते हुए कहा कि परंपरागत मीडिया प्रामाणिकता चाह्ता है और नेट पर मौजूद जानकारी की प्रामाणिकता साबित करना बहुत मुश्किल है।
लेकिन ये भी सत्य है कि चाहे परंपरागत हो या साइबर मीडिया, जो भी खबर हमें वहां मिलती है वो अर्ध सत्य ही होती है तथ्य नहीं क्युं कि हर इंसान किसी भी तथ्य को अपने अनुभवों,अपनी सोच, अपनी पसंद और नापसंद के अनुसार ग्रहण करता है और उसकी रिपोर्टिंग करता है।
इस सीमा के बावजूद, साइबर मीडिया के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. यह सबसे ज्यादा आम आदमी के विचारों को आवाज देता है और इसकी वैश्विक पहुँच है। यह एक सामाजिक आंदोलन शुरू करने में मदद कर सकता है. ब्लॉग महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे कई तरह के विचार पेश करने की छूट देता है। पारंपरिक मीडिया क्या जानकारी दिखाई देगा ये पत्रकार के व्यक्तिपरक निर्णय और प्रकाशन घर पर निर्भर करता है जब की साइबर मीडिया में ऐसी कोई मजबूरी नहीं। खबर बनाने वाला खुद खबर प्रसारित भी कर सकता है और तत्काल प्रतिक्रिया पा सकता है।
लीजीए, अब मुझे तत्काल प्रतिक्रिया का इंतजार है।