कंगारू
टी 20 इंटरनेशनल जीतने की खुशी में ताज इंटर्कॉटिनेट्ल में एक रात्री भोज का आयोजन हुआ। धोनी की तरफ़ से खास न्यौता आया, आखिर पुराने छात्र हैं हमारे, हाँ ये बात और है कि वो कभी क्लास में न नजर आये और उनका नाम हमारी ब्लैक लिस्ट में था। पर आज हमारे मन में कोई शिकायत नहीं थी, आखिरकार टी 20 जीत देश का नाम रौशन किया था, और फ़िर ताज जैसे महंगे हॉटेल में भोज, वो भी एकदम मुफ़्त्।
हॉटेल पहुंचे तो देखा कई राजनेता, फ़िल्लम इस्टार, मिडिया वाले और न जाने कौन कौन धोनी को बगल में पोस्टर सा चिपकाये फ़ोटू खिचवाये रहे हैं। सिर्फ़ आखों से अभिवादन का आदान प्रदान हुआ, धोनी के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान, मानो कहते हो, देखा तुम तो कहती थी ऐसे ही चला तो वी टी स्टेशन पर चने बेचते नजर आओगे, वैसे भी अंग्रेजी आती नही, अगूंठा छाप कहीं के, उस फ़ट्फ़टिया की ड्राइवरी करते नजर आओगे, अब कौन से चने के झाड़ पर बैठे है हम्। फ़ीकी सी हंसी के साथ हमने हां में सिर हिलाया। समझ गये कि ये वक्त रिश्तों के सेतु संवारने का नहीं।
इधर उधर नजर दौड़ाई तो एक तरफ़ कौने में ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ी गंभीर चेहरे लिए किसी गहरी मत्रंणा में डूबे नजर आये। कोई उनकी तरफ़ ध्यान न दे रहा था, न वो किसी की तरफ़ ध्यान दे रहे थे। उनके बगल वाली खाली टेबल हमें सबसे सुरक्षित लगी धोनी के फ़ारिग होने का इंतजार करने के लिए। फ़िर हमारी कान लगाने की पुरानी आदत जायेगी थोड़े न।
रिक्की पोटिंग - जो हुआ बहुत बुरा हुआ, इनका तुक्का दूसरी बार कैसे चल गया। समझ नहीं आ रहा, ये लोग तो हार स्पेशलिस्ट हैं, जीती हुई बाजी एन वक्त पर छोड़ देना इनकी फ़ितरत है, कहां गयी इनकी संस्कृती अतिथी दैवो भव:, पहले आप्। सच्ची बहुत बतमीज हो गये हैं।दुनिया में हमारी क्या साख रह जायेगी।
मैथ्यु- मेरी बीबी का तो ऑलरेडी स म स आ चुका है- तलाक, तलाक , भला उसकी भी कोई इज्ज्त है कि नहीं, क्या मुहं दिखाय अपनी सहेलियो को, उसका पति एक टुच्ची सी बच्चों वाली टीम से हार गया।
साइमंड- मौका मिलने दो, हनुमान बन इनकी लंका में आग न लगाई तो मेरा नाम भी बंदर, सॉरी, साइमंड नहीं।
रिक्की- चुप यार, हमेशा कन्फ़्युजड रहता है, अबे अपुन इन्डियीन टीम से हारे हैं, श्री लकंन टीम से नहीं ( हालाकिं अब ये रोज होगा ऐसा ख्तरा बड़ता जा रहा है)और ये हनुमान कौन है?
मन्ने तो लागे है जी कि ये सारा किया धरा शाहरुख खान का है। जिधर जाता है जीत उसके पीछु पीछु लग लेती है। अब बताओ, इन्ने कोई काम न हे जो किरकिट देखन साउथ अफ़्रिका आ गये।
हाँ सही कह रहे हो बंधु, क्यों न शाहरुख को अपनी टीम का चियर लीडर का अनुबंध दिया जाए। ये चियर लिडरनियां तो जी जरा लकी न निकलीं। लेकिन रिक्की भाई एक बात एकदम क्लीयर कर दियो, ये शाहरुख चक दे इंडिया न बोले।
क्लार्क- हाँ, मन्ने तो लागे है ये चक दे इंडिया गाना ही अपनी वाट लगाये है। मैं जब भी इनको घेरु हूँ, वो डी जे चक दे चक दे लगा दे और पूरा स्टेडियम खड़ा हो जावे। अब ये तो भई ज्यासती है ने हम बिचारे 11 और ये लोग 11000, कोई न्याय है भला, दिल तो करता था इस चक दे को चक्कु से चॉक ही कर दूं।
ब्रिट ली गंभीर मुद्रा में अब तक गिटार के तार ठीक कर रहे थे, बोले - मुझे लगता है ये दीपिका पदुकौन को स्टेडियम में आने से रोकना होगा।
रिक्की अचकचाए कौन दीपिका, और सुन्दर कन्या को आने से क्युं रोकना होगा, सुन्दर नजारे न हुए तो पूरी रात मैदान में कैसे कटेगी।
ब्रिट- तुम देखे न भैया, उसकी एक शर्मिली सी मुस्कुराहट पर धोनी कैसे घूम जाता था, बॉल सीधा स्टेडियम की छ्त को छूती दीपिका के पैरों पर गिरती। भई, इनका तो इश्क का तोहफ़ा हो गया खेल खत्म होने से पहले, इधर छ्क्का मान लिया गया।
एड्म- सही कहते हो, शोनाली का नाम भी उस लिस्ट में जोड़ो, श्रीसंत को देखा, उसे देख कैसे बलियों उछ्लता है।
रिक्की- दरअसल एक दो को छोड़ सब छ्ड़े छांट भर लिए है टीम में। खेलते तो है क्रिकेट पर जेन्टलमैन वाली कोई बात नहीं रह गयी। दे आर ऑल आउट टू इम्प्रेस गर्ल्स्। मंत्रणा चल ही रही थी कि खाना आ गया।
रिक्की- आइडिया
बाकी सब- क्या , क्या,
रिक्की- क्युं न अपनी सरकार से सिफ़ारिश करे कि इन्हे वो कंगारू गेहूं भेज दें, वो लाल वाले।
रिक्की ने आखँ मारी, सब हस पड़े, सही है गुरु, क्या सोचा है, ये मारा चौका। कगांरु गेंहू का के ये कंगारू और कगांरुओ से निपटना हमे आता है( मानो कहते हो हारी बाजी को जीतना हमें आता है …हम सिंकदर हैं …।) ही ही ही
(मेरे एक छात्र के अनुसार पहली पंक्ती परिक्षा में जो लिखी जानी चाहिए वो है"नीचे लिखे सारे उत्तर काल्पनिक है, किसी भी किताब से किसी भी प्रकार की कोई भी समानता महज इत्तेफ़ाक है, इरादतन नहीं)
तो हम भी यही कहना चाह्ते हैं कि ऊपर लिखी सब घटनाएं कोरी काल्पनिक हैं ,किसी को दुख/ठेस पँहुचाने का मेरा कोई इरादा नहीं, ये सिर्फ़ मजे के लिए लिखा गया है।
सुस्वागतम
आपका हार्दिक स्वागत है, आपको यह चिट्ठा कैसा लगा? अपनी बहूमूल्य राय से हमें जरूर अवगत करावें,धन्यवाद।
October 25, 2007
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30 comments:
आपकी इस रचना को पढ़ कर समझने मे आसानी हुई तो बच्चो जैसे चहक उठे अन्यथा हम तो 'आलोक का रावण' पढ़ने के बाद बोरिया बिस्तर बाँध कर यहाँ से खिसकने की तैयारी में थे.
शायद वक्त लगे लेकिन हम शिष्य एकलव्य से कम नहीं. दूर बैठे बैठे ही आपसे बहुत कुछ सीख जाएँगें.
अंत मे राज खोलकर आपने अच्छा नही किया। हम तो सोच रहे थे कि आपके माध्यम से धोनी से मिल लेंगे। :(
मैं भी यही सोच रहा था कि वाह, अब तो धोनी के साथ अपनी पहुँच बन गई। पसंद आया आपका पेज ३ कवरेज। आपका छक्का तो यह था -
दिल तो करता था इस चक दे को चक्कु से चॉक ही कर दूं।!
आलोक
चलो, इस रचना के माध्यम से,काल्पनिक ही सही, डर तो खत्म हुआ कि अगर कभी आपकी ब्लैक लिस्ट में आ भी गये तो फाईव स्टार के डिनर से वापस व्हाईट लिस्ट में हो लेंगे. :)
बड़ी कंफ्यूजनात्मक पोस्ट रही जी! :-) :-)
यह भी अच्छी रही.
ये रहा धुलाई -पार्ट टू...
अब तो बहुत लोगों को 'कवर' की जरूरत है...आपने एक पोस्ट और लिखी तो 'एक्स्ट्रा कवर' की जरूरत भी पड़ सकती है....आपकी पिछली दो पोस्ट की वजह से 'कट', 'स्क्वायर कट' वगैरह लगने शुरू हो गए हैं...आपने व्यंग की जो 'स्ट्रेट ड्राइव' शुरू की है, उसे जारी रखें...
मज़ा आया पोस्ट पढ़कर...धोनी ने एक बात साबित कर दी...टीचर अच्छा पढ़ा सकता है, ज्योतिषी नहीं बन सकता......:-)
दुख तो इसी बात का है ना कि यह पोस्ट काल्पनिक है। सच्ची में होती तो क्या बात थी। टीचर सिर्फ पढ़ाता रह जाता है, बालक आगे निकल जाते हैं।
मस्त!!
ऐसे ही अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाते रहिए और हमे पढ़वाते रहिए!!
सही कल्पना है। चीयरलीडरानियों के बिना टी२० बेमजा है।
आलोक जी आप कि लेख पसंद आया धन्यवाद, हम नये चिठठाकारों को प्रतोसाहन की सदा दरकार रहती है।
वही तो मैं सोच रहा था कि धोनीजी तो मेरे सीनियर थे और आप मेरे स्कूल में कब थी मैं याद करने लगा था… कल्पना की अनोखी उड़ान ।
शिव भाई , आप को यहां देख अच्छा लगा। हां टीचर अपना भाग्य नहीं बांच सकता तो किसी दूसरे का क्या बाचेंगा।
अंत का रहस्य नहीं खोला होता तो और…।
सही कल्पना।
संवेदनाओं का बहुत सुन्दर चित्रण,काल्पनिक ही सही,अच्छा लगा धोनी से मिलकर,आपको धन्यवाद!
मैने तो एक दिन बाद पढा कंगारू लेकिन मजा आगया । पर सचाई आपको दो दिन बाद फाइन प्रिंट में देनी चाहिये थी ।
मजा आ गया ....अच्छा है...:-)
ek to pakka hai guroo aakhir guroo hee rahta hai
aur ek baat aur
chele ne jis guroo se jyadaa jhaad khayee ho use tab jaroor yaad karta hai jab vo chotee per khada hota hai
ye jo carrierist yanee kitabee jhenpoo type ladke school jeevan mai guru ke ladle hote hai per mud kar dekhte bhee nahee aage badhne ke baad
jisne school life ka maza liya ho vahee guroo ko achhe baqt mai yaad rakh pata hai
aapka kya anubhav hai jee
ek baat aur
ye kangaroo hamaree sharaaft ko pichhle 30 saal se lalkaar rahe the
jab jawab mila hai to inke aaka tak hame sharaafat ka paath padha rahe hai
ye bahee iyaan chappel hai jinkee kaptaane mai jyof thomsan ne kaha mujhe ballewaj ka khoon se lathpath chehra dekhne mai mazaa aata hai
tab kiseee kangaaroo ne nahee kaha thomo ko team se nikalo
Lilee ne gavaskar ko chidhaya, minyadad se panga liya kisee ne kuchh nahee kaha
greg chappel ne badneeyatee se under arm ball dalwayee apne bhai traver chappel se
tab bhee grag cheppel unke liye sammanit hai
aur dekhan sri sant in kangaroo logo ka band baja dega.
is daree hui halat mai sab bol rahe hai
symonds se mujhe sahanubhootee hai
kisee ko nasl ke adhaar per nishana nahee banaya jana chahiye
darshako ko aisa nahee karna chahiye
jaha tak dhoni - deepika ka sawaal hai
kaun jane bharat ke sabse shaandar sportman mai se ek prakaash kee ye beti dhonee ko utsahit karne ke liye hee muskaratee hai
hame is bemishaal jodee ko ashirvaad dena chahiye
rahee baat lanka jalane kee to ye kaam in tuchhe logo ke bas ka nahee hai. Yuvraj akela kaafee hai.
aur chak de india ek film ka naam nahee hai ek nara hai jo sab khelo mai prerna deta rahega. shahrukh ponting kee team ko harane australiya bhee jana
ant mei. kaash ye blog dhonee bhee paqdh le
बहुत बढ़िया लिखा है । पढ़कर मजा आ गया ।
घुघूती बासूती
कमाल है आप तो दो ही पोस्ट में छा गई। एक एक पोस्ट पर 20+ टिप्पणियाँ??? लोग तरस जाते हैं।
:)
माफ कीजिये यह कहना तो भूळ ही गया कि बहुत बढ़िया लिखा आपने, मजा आ गया।
आपका व्यंग्य बहुत अच्छा है।
दीपक भारतदीप
shandar
ज्ञान वर्धन के लिए धन्यवाद मुझे नहीं मालूम था की कंगारू के देश वाले लोग हरियाणवी भाषा बोलते हैं.
आप का लेख पढ़ के बहुत मजा आया
नीरज
शुरू की २-४ पंक्तियों तक संस्पेस रहा, लेकिन जैसे ही ऑस्ट्रेलिआई खिलाड़ियों की एक-एक करके बातें पढ़ने को मिलीं समझ में आ गया कि कल्पना ही है।
आपकी कल्पना सच हो जाये, हम तो यही दुआ करेंगे।
Didi
aapki kalpana ki udhan padhi padhkar bhaut achha laga
मजेदार.............
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