आलोक जी का रावण
आलोक जी के रावण को देख एक दृश्य मेरे जहन में कौंध रहा है, आप भी देखिए।रावण ज्ञानद्त्त जी के सैलून जैसे ड्ब्बे में सफ़र कर रहा था, फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि ज्ञानदत्त जी अकेले सफ़र करने का मजा लूट सकते हैं साथ में सिर्फ़ अर्दली और रावण लालू की तरह लंबी चौड़ी ताम झाम साथ में लिए सफ़र कर रहा था, नौकर चाकर, प्रेस वाले , कुछ कंपनियों के सेल्समेन, कुछ सुरक्षा कर्मी और पता नहीं कौन कौन्।
सफ़र करते हुए वो अपने मोबाइल के बिल बाँच रहा है और मंदोदरी ड्रेसिंग टेबल पर बैठी गिन गिन कर अपने सफ़ेद बाल नोच रही है। बालों की लहलहाती ख्रेती तेजी से गायब हो रही है, मंदोदरी परेशान है। बाल तो रावण भी अपने नोच रहा है, आलोक जी ने सही कहा, रावण बिचारा लोन कन्या के गच्चे में आ गया। दरअसल हुआँ यूं कि लोन कन्या की आवाज सीता जी से इतनी मिलती थी कि रावण को लगा वहीं है, सोचा, अगर पाचँ द्स मोबाइल लेने से मामला फ़िट हो जाता है तो सौदा महंगा नहीं। अब बिल आया तो पता चला कि मामला तो कुछ और ही था।वो राम ने कोई लोचा कर दिया था फ़िर से।पहले भी एक बार ऐसी खुराफ़ात की थी उसने किसी बंदर को भेज दिया था। सब अच्छे पतियों की तरह रावण ने भी फ़ाइनेंस मिनिस्टर, होम मिनिस्टर का पद भार मंदोदरी को दे रखा था, अब परेशानी ये कि मंदोदरी के सवालों के क्या जवाब देगें, सवाल करने पर आ जाए तो बड़े बड़े वकीलों के भी कान काट दे। एक तो ये पेचीदा बिल, ऊपर से उनका भुगतान करने के लिए अशोक वाटिका गिरवी रख चुके थे, अब मंदोदरी को क्या बताते, इश्क में बाल कहां तक नुचे।
मामले को सभांलने के इरादे से मंदोदरी का मनुहार करते हुए अपने ज्ञान का बखान करते हुए बोले तुम क्युं अपने बाल यूं नौचती रहती हो, बालों को रंग क्युं नही लेती, तपाक से लॉरइल वाला सेल्समेन शुरु हो गया- महारानी साहिबा महाराज ने क्या पते की बात कही है, ऐसे ही थोड़े चहु दिशाओं में महाराज के ज्ञानी होने के डंके बजते। अब देखिए बाल रंगने के कितने फ़ायदे हैं, इत्ते सालों से वही काले बाल देख देख कर आप बोर नहीं हो गयीं , अब ये सफ़ेद बाल तो आप का पेंटिग का कैनवास है, रोज जिस कलर की साड़ी पहनो उसी रंग के बाल रंगो, न्यु लुक एवेरी डे, मैचिंग सैंडल( कहाँ मिलते हैं समीर जी बता देंगे), मैचिंग पर्स, मैचिंग लिपस्टिक, मैडम एश्वर्या भी नहीं नहीं सीता भी पानी भ्ररेगी आप के सामने।
बात तो महारानी को अच्छी लगी पर अभी भी एक परेशानी की शिकन माथे पर थी, बोली लेकिन मैने तो सुना है कि बाल रंगने से बाल गिरने लगते है, ऐसे तो मै बहुत जल्द गंजी हो जाऊंगी। रावण ने सोचा मामला हाथ से निकला जा रहा है, फ़टाक से बीच में कूद पड़े, अरे प्रिय तुम तो मुझे हर हाल में अच्छी लगती हो( बस मोबाइल के बिल के बारे में न पूछना) गजीं भी हो गयीं तो क्या हम फ़िर भी नुक्कड़ के फ़ूलचंद से तुम्हारे लिए सर पर सजाने को गुलाब लाएगे, बालों मे खोस न सके तो क्या सेल्वटेप है न चिपकाने को, जहां चाह वहां राह्। इनफ़ेक्ट, जुलियस सीजर के ताज सा गुलाबों का मुकुट कैसा रहेगा।
बीच में दूसरा सेल्स मेन टपक पड़ा, महारानी जी महाराज बिल्कुल सही कहते हैं, जिसकी बीबी गंजी उसका भी बड़ा नाम है, मेरी कंपनी की क्रीम लगा दो लाइट का क्या काम है। इनफ़ेक्ट महाराज मैं तो निवेदन करुंगा की आप ऐसा कानून ही बना दें कि लंका में समस्त प्रजा आज से अपने सर मुंड्वा दे, जो भी दानव दानवनियां लंबे बालों वाले पाये गये वो देश द्रोही माने जाएगे और उन्हें देश निकाला दे दिया जाएगा, आखिर लबें बाल तो वानरों की निशानी है, देखा नहीं था वो बदंर, कित्ता तुफ़ान मचा कर गया था पुरी लंका बर्बाद कर गया था। हनुमान के उत्पात की याद आते ही महाराज का खून खौलने लगा। उस सेल्समेन ने सोचा लौहा गरम है एक हथौड़ा और मार ही दें सेफ़्टी के लिए, महारानी की तरफ़ मुड़ कर बोला और फ़िर महारानी साहिबा महाराज को ही देखिए बाल आगे से यूं जा रहे है जैसे लो टाइड में समुद्र का पानी पीछे खिसक लेता है अब ये आधे अधुरे बाल महाराज की पर्सनलिटी के साथ शोभा नहीं न देते, या तो है या नही है, ये क्या अयौध्या के मंत्रियों की तरह कभी कहते है हम सहमत भी है और नही भी। पर्सनलिटी तो हमारे महाराज की है, एक बार जो स्टेंड ले लिया बस ले लिया अब जीतेगे या मरेगें और महारानी जी आप इस टुच्चे रंगरेज की बातों में न आइएगा, ये तो कल सीता को भी कह रहा था कि बाल हरे रंग लो फ़ैशन का फ़ैशन और आस पास के पेड़ों के साथ मैच करेगा सो अलग्। असली फ़ैशन तो गंजेपन में है, आप को अपनी क्रिएटिविटी दिखाने का पूरा मौका मिलता है, जब ट्व्टी ट्व्टी चले तो लंका का झंडा अपने सर पर पेंट कराइए चियर लीडरनियां भी आपको सरगना बना लेंगी, और जब मैच न हो तो हमारी क्रीम से सर की मालिश कराइए, ये बाल नौच नौच कर जो सर में दर्द रहता है एकदम दूर हो जाएगा और आपके चांद की चमक देख महाराज बोल उठेंगेये चांद सा रौशन ट्कला, फ़ूलों का रंग सुनहरा, ये झील से गहरी आखें, कोई राज है इनमें गहरा…इतने में रावण का मोबाइल बज उठा…हैल्लो, हैल्लो, रावण, लोन रिक्वरी वाले थे, रावण बोला सॉरी रोंग नम्बर्॥दिस इस टकलु हिअर्…ढूंढो बेटा अब रावण को, और आजा बेटा राम अपनी सब चालाकियों के साथ, यूं नहीं पिजंरे में उतरने वाले हम, सुसाइड कर तू।
सुस्वागतम
आपका हार्दिक स्वागत है, आपको यह चिट्ठा कैसा लगा? अपनी बहूमूल्य राय से हमें जरूर अवगत करावें,धन्यवाद।
October 22, 2007
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21 comments:
:) :) और :)
इंतजार है ज्ञान जी के टिपियाने का।
हमें भी…।:)
अरे वाह! आलोक पुराणिक के रावणीय पोस्ट का तो यह जबरदस्त सीक्वेल है! पुराणिक तो अकेले रावण को बहलाते रहे पर मन्दोदरी को जोड़ कर तो आपने परिपूर्ण कर दिया रावण संहिता को।
और रावण के लिये तो सैलून स्पेशल बनवाने होंगे - दस सिर तो अभी वालों के दरवाजे में आ ही नहीं पायेंगे! :-)
आदरणीया
हमारे खोमचे पे लात क्यों मार रही हैं।
मुश्किलों से व्यंग्य का एक खोमचा जमा है, आप इत्ता अच्छा लिखेंगी, तो सब यहां कूद लेंगे।
आलोकजी को रावण के मार्ग पे जाना होगा ।
वाकई मंदोदरी का एंगल महत्वपूर्ण है। विचारणीय सवाल यह है कि बिल किसके ज्यादा होते हैं, रंगाई पुताई लिपाई के या मोबाइल के। ओरियल के , एयरटेल के किसके बिल दिल पे ज्यादा चोट करते हैं। गहन मसला है। और मसला टेंशनात्मक यह हो गया है कि अब तो लिपाई पुताई का काम पुरुष भी बहुत जोर से करने लगे हैं। लेटेस्ट आउटलुक में एक अच्छी रिपोर्ट छपी है पुरुषों के गोरेपन क्रीमों पर। अहा हा क्या ही सीन होगा-मंदोदरी और रावण दोनों ही ओरियल से फेयर एंड लवली हो रहे हैं। रावण महाराज मंदोदरी को सजेस्ट कर रहे हैं, आजकल पौंड्स क्रीम में वो बात नहीं रही। मंदोदरी कह रही हैं, जी आजकल में तो मोदी केयर वाले प्राडक्ट्स पर शिफ्ट हो गयी हूं। कुछ दिनों में तमाम ब्यूटी कंपनियां पैकेज आफर चलाने लगेंगी. हजबैंड-वाइफ दोनों को गोरा बनाने के पैकेज में पचास परसेंट का डिस्काऊंट. अहाहा, हजबैंड वाइफ दोनों ही हल्दी के उबटन कर रहे हैं. और दोनों ही अपनी ब्यूटी समस्याएं फेमिना में भेज रहे हैं। वक्त बदल रहा है जी।
पर जी व्यंग्य लिखिये, आप तो सब छोड़िये, ट्रेवलाग वगैरह पर कभी-कभीर हाथ मार लीजिये, कविता भी चलाइए, पर व्यंग्य को पकड़ लीजिये। व्यंग्य की शुरुआत ही आपने सेंचुरी से की है।
मोगंबो खुश भी हो रहा है, और डर भी रहा है।
वाह वाह जी क्या व्यंग्य है और आलोक जी ने इतनी बढ़ी टिप्पणी की है तो समझ लीजिये कि धांसू च फांसू है.
इसी तरह व्य़ंग्य लिखते रहिये.
नहले पर दहला :)…मगर आप बालों को लेकर ही हर वक्त सीरियस रहती हैं।
आलोक जी
आप लात मारने की बात कहते हैं, यहां तो हवा टाइट हुई जा रही थी कि कहीं लोग (और खास कर आप) कहीं हमारे फ़ूहड़पने पर हंसे नहीं। हिन्दी साहित्य का क ख ग भी नहीं पढ़ा, लिखना क्या जाने। हम तो हिन्दी ब्लोग पर विधमान अनेक दिग्गज लोगों के लेखन से अभी तो बोलना भर सीख रहे हैं। आप तो जी हमें आशिर्वाद दें कि कुछ सलीका आ जाए लिखने का।
बड़ी कृपा है आप मित्रों की जो इतना स्नेह देते है और हौसला अफ़जाई करते है। तहे दिल से शुक्र्गुजार हूँ।
ज्ञानदत्त जी आप को खास तौर पर शुक्रिया कहना है, आप टिप्पियाए तो अब दूसरे टिप्प्याएगे, देखिए पंकज जी का कहना
गज़ब!!
पहली ही कोशिश मे धो डाले सब को!!
बहुत बढ़िया!!
लिखते रहिए!!
बहुत बढ़िया मजा आ गया। इसी तरह व्यंग्य पर भी हाथ साफ करती रहें, कभी कभार जब पुराणिक जी की दुकान बंद हो तो.... :)
वैसे लंका में लोरियल वालों का भविष्य उज्जवल है, रावण के दस सर जो ठहरे। उन्हें रंगने के लिये लोरियल का फैमेली पैक खरीदना होगा रावण को!!
please put your link here simple process
संजीत का कहना बिल्कुल ठीक है...'धो डाला' आपने.....:-)
अद्भुत कल्पना-शक्ति...आने वाले दिनों में अगर विज्ञापन वाले आपके इस लेख से आईडिया निकाल लें, तो आश्चर्य की बात नहीं होगी.....
बहुत बारीकी से काटा गया है एक एक कोना. उस पर से ज्ञान जी को, आलोक भाई को इस तरह प्रतिक्रिया व्यक्त करते देखना भी रोचक लगा.
अब तो आप आ ही जायें बड़ा सा शोरुम लेकर आलोक भाई के खोमचे वाली गली के मोड़ पर. प्लाट खाली करवाने का जिम्मा.... :)
और लिखिये.
धांसू है। बहुत अच्छा। ये नया रंग बहुत मजेदार है। रावण को पता लगा तो बहुत खुश हो जायेगा अपनी पापुलरिटी देखकर!
bahut hi badhiya,
bahut hi badhiya hai, vartman kalin paristhitiyan bayan ki hai.
hello anita ji, in fact, pahle pahle to kuchh deemag main baith hi nahi raha tha, ki yah sab kya ho raha hai! us ke baad jab dhyan se padha tab jaa kar maloom hua ki vyang writing koi aap hi se seekhen. aur raha fanda salesmanship (i mean saleswoman ship), in fact people from the advertising agencies should take lessons from you. very good anita ji.
आपके व्यंग्य लेखन को कई बार पढ़ना पढ़ा फिर सोचा टिप्पणियाँ आने दीजिए शायद तब समझ आ जाए लेकिन अभी भी हमारे दिमाग की खिड़कियाँ बन्द तो सोचा.... :(
ये कहाँ आ गए हम ...... !!
नत मस्तक हो आपको शत शत प्रणाम !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, विनोदपूर्ण टिप्पणियों की त्रिवेणी प्रवाहित होती हुई,
साथ ही रावण की प्रतीकात्मक उपस्थिति अच्छी लगी. वैसे रावण तो रावण
ही है, चाहे आलोक जी का हो आथवा ज्ञान दत्त जी का..... !
आपकी पोस्ट पढ़ी, पूरा संदर्भ समझने के लिए आलोक जी की पोस्ट भी पढ़नी होगी। बहरहाल आपने पहले ही मैच में सैंचुरी ठोक दी है। बधाई
vyangya bhee aap kee muthhee men band hai aaj dekh liya bahut achee baten kahee hain uffff phone khata loan rec wale hain bhagata hoon
Anil masoomshayer
shayarfamily.com
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