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May 10, 2008

एहसास

एह्सास

मेरे एक नेट मित्र हैं देहली से राजेश जी, उनका लड़का विरल त्रिवेदी लगभग मेरे लड़के की ही उम्र का होगा। नयी पीढ़ी का नवयुवक जिसका आत्म चिंतन भी अंग्रेजी में होता है। किताबों से दूर, आत्मविश्वास और अपने अंदर के टेलेंट के बूते पर आगे बढ़ने का सलीका लिये एक आम बम्बईया पैदावार लगता है, है नहीं । नीचे लिखी तस्वीर उसी ने नेट पर से ढूंढ निकाली थी और इसे देख कर उसके मन से जो फ़ूटा वो आप भी देख सकते हैं। हम तो हैरान हुए ही उस अक्ख्ड़ सी शख्सियत के पीछे छुपे इस संवेदनशील मन को देख कर, सोचा आप से भी बांट लें। भविष्य में सकारात्मक संभावनाएं अभी बाकी हैं।


एहसास


तेरी गरम बाहों को आज भी ओढ़ कर सोता हूँ मैं


तेरी सासों की महक से आज भी मदहोश होता हूँ मैं


तेरे केसुओं को आज भी अपनी उंगलियों से सहराता हूँ मैं


तेरी रूह के आइने में खुद को आज भी देख पाता हूँ मैं



तेरे जिस्म का एहसास आज भी वैसा ही बरकरार है


तेरे बदन की खुशबु से आज भी दिल की दुनिया गुलजार है


तेरे हाथ को अपनी दो हथैलियों में रख कर


निगाहों से हाले दिल सुनाने का सिलसिला भी जारी है



मेरी बेजुबान आखें तेरी सिलवटों का आइना बनकर


मुझे रोज सहर में झिंझोड के जगा देती है


मैं महसूस करता हूँ ये सब, इन एह्सास को जी नहीं पाता


फ़िर भी, वो एह्सास है जो जिन्दा है आज भी , सांस ले रहा है


काश हम थोड़ी देर और साथ जी पाते, तुम और मैं


खैर, इन एहसासों का मैं शुक्रिया कैसे करुं


कि तुम्हें अब तक मुझसे जोड़ के रखनेवाले वो ही तो हैं


ये एहसास ही तो है, जो हमको जोड़े रखेगें…हमेशा।

21 comments:

Pramendra Pratap Singh said...

बेहतरीन के शिवा और क्‍या कहूँ ?

सुनीता शानू said...

रूहानी कविता है...पढ़ते-पढ़ते एक सिहरन सी पैदा कर देती है...बहुत सुन्दर!

गुस्ताखी माफ said...

एकदम दिल को छू जाने वाले भाव है.
लेकिन आपने इस पोस्ट को कोई शीर्षक नहीं दिया इस कारण इसके सर्च में आने में दिक्कत होगी

मीनाक्षी said...

मर्मस्पर्शी कविता पढ़कर और चित्र देखकर हमारे मन में भी एक एहसास जागा.....काश ..... !!!!!

Gyan Dutt Pandey said...

चित्र को देख भाव तो आते हैं। पर इतनी सुन्दर कविता बना लेना काबिले तारीफ है।

Dr Parveen Chopra said...

एक ऐसा एहसास कि जिसने कान खींच कर उस भूली हुई कहावत को एक बार फिर से याद दिला दिया...होनहार विरवान के होत चीकने पात.......आप अपने मित्र को बधाईं भेजें कि उन का बेटा आने वाले समय का चमकता सितारा है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

अनिता जी, इस चित्र और कविता को पढ़ कर सबसे पहले छान्दोग्य उपनिषद की वह कहानी याद आई जिस में एक पिता अपने पुत्र को कहता है-
जिस दिन तुम मां कि गर्भ में बीज हुए वह मेरा पहला पुनर्जन्म था, पैदा होने पर मेरे नाम से जाने गए वह दूसरा और जब तुम मेरी सारी जिम्मेदारियाँ सम्हाल लोगे मेरा तीसरा पुनर्जन्म होगा। पुनर्जन्म का यह कितना सुंदर दर्शन है।
जीवन इसी तरह निरंतर जीता चलता है। जरुर वे दोनों भी कहीं सांस ले रहे होंगे। बस हम एहसास करें।

रंजू भाटिया said...

बहुत ही दिल के एहसासों से रची बसी कविता है .दिल को छु गई हर पंक्ति

Udan Tashtari said...
This comment has been removed by the author.
mehek said...

khubsurat ehsaas ki anubhuti,marmik,badhai.

डॉ .अनुराग said...

vakai ek khoobsurat kavita hai.

mamta said...

इसे ही तो कहते है एक खूबसूरत एहसास।
विरल को इतनी सुन्दर कविता लिखने के लिए बधाई और शुभकामनाएं ।

Sanjeet Tripathi said...

शानदार!!

Abhishek Ojha said...

बेहतरीन !

Udan Tashtari said...

इस चित्र को देख कितने तरह के भाव दिल में आ सकते हैं, उन्हीं मे से एक उम्दा भाव यह भी है, बहुत खूब.

बालक को हमारी बधाई प्रेषित करें. हो सके तो उसे ब्लॉग खोलने के लिए प्रेरित करें.

Manish Kumar said...

सही कहा आपने..एहसास ही तो रिश्तों की नींव मजबूत करते हैं।

Rajesh said...

Thnx Anitaji, aapke blog ke saath connect kar ke lagta hai ki aapne Viral ko apne jehan mein ek khaas jagah di hai. Sabhi pathakon ka main tahe dil se shukriya karta hoon. Aap sabhi ne Viral ke yah "Ehsaas" ko itna saraha hai, main uski aur se aap sabon ka Dhanyavaad karta hoon.

कंचन सिंह चौहान said...

bahut bahut bahut hi sundar di..Viral ko bata dijiyega.

Suresh Gupta said...

बहुत सुंदर. सदियाँ बीत जाती हैं पर एहसासों की खुशबू बैसी ही तरो ताजा बनी रहती है.

राकेश सिंह पटेल said...

ek ummeed jagi hai ki hamari bhavi pidhi jo itani sanvedansheel hai mhaphooj rakhegi sanvedanaon ko.

ilesh said...

sundar ehsas .....taarif ke lafj bhi fike lagte he hame is ehsas ke liye........