हम अभी तक पहली ब्लोगर्स मीट का आनंद आत्मसात कर रहे थे कि विकास का मेल आ गया कि एक बार फ़िर सब लोग मिल रहे हैं शुक्रवार को शाम सात बजे के करीब और आज तो गानों का दौर चलने वाला है, आप आइये। हम अभी सोच ही रहे थे कि जायें या नहीं कि मनीष जी का स म स आ गया। तो लगभग शुक्रवार के दो बजे के करीब हमने जाने का मन बना लिया। पिछ्ली बार हम देख आये थे कि वहां आस पास खाने पीने की सुविधा कुछ खास नहीं थी (शायद महिला होने के नाते इन सब बातों पर ध्यान ज्यादा जाता है) और हम घर से जा रहे थे इस लिए सोचा कि कुछ ले जाया जाये। पिछ्ली बार बाजार से कुछ ले गये थे तो प्रमोद जी (जो अभी अभी पीलिया की बिमारी से उठे हैं) ने कुछ नहीं लिया था।
हम वहां पौने आठ बजे पहुंचे, गीतों की महफ़िल तो सवा 6 बजे से जम चुकी थी। प्रमोद जी भी उसी समय पहुंचे और अनिल जी देर से आये। हमारे आने से गीतों के श्रंखला कुछ समय के लिए टूटी। विकास को आज भी मेजबान का रोल निभाना था, सो बड़े धड़ल्ले से उसे चाय का इंतजाम करने को कहा गया। बिचारा पता नहीं कहां कहां घूम कर चाय का जुगाड़ किया और आधे पौने घंटे बाद दो चाय से भरी पेप्सी की बोतलें और नाशता लेकर हाजिर हुआ। पर चाय पीते ही महफ़िल में फ़िर जोश आ गया और अब एक कुर्सी सिंहासन की तरह बीचम बीच रखी गयी, विमल जी सिंहासनासीन हुए और प्रसिध कवि नीरज जी(अलीगढ़ वाले) की आवाज और शैली की नकल करते हुए गाना शुरु किया। आप सुने तो लगे नहीं कि नीरज जी नहीं गा रहें। उसके बाद तो महफ़िल ने राजधानी की रफ़्तार पकड़ ली। गाने में और टेबल को तबले की तरह बजाने में विमल जी का साथ दे रहे थे विकास। क्या गला पाया है दोनों ने, बहुत ही सुरीले और बुलंद आवाज, सुनने का मजा आ गया।
विकास को शिकायत थी कि हमने अपनी पोस्ट में उनकी फ़ोटो नहीं डाली, अरे जब हमारे केमरे की कमान उन्होंने संभाली थी पिछ्ली बार तो उनकी फ़ोटो मेरे केमरे में कैसे आ सकती थी। खैर, इस बार अपने केमरे से रिकॉरडिंग हम खुद कर रहे थे इस लिए हम उनकी शिकायत दूर कर देते हैं। वैसे उस दिन की कई तस्वीरें युनुस जी के ब्लोग पर हाजिर हैं.
जैसे जैसे वक्त आगे खिसका प्रमोद जी, मनीष जी, अनिल जी सब ने तान छेड़ी, न गाने वालों में सिर्फ़ शायद सिर्फ़ हम थे। हमारे लिए सब कुछ नया था। इनके छात्र जीवन के गीत, अवधी गीत, उत्तर प्रदेश और बिहार की मिट्टी से जुड़े गीत, लेकिन सब इतने मधुर कि कब हमारे चलने का वक्त हो चला पता ही नहीं चला।
सवा नौ बजे से हमने घड़ी देखना शुरु कर दिया था। महफ़िल में रंग में भंग डालते हुए हमने 9.30 बजे जोर दिया कि सब गीतों को छोड़ खाना खाएं। हमने वहां खाना नहीं खाया, पर जब घर पर खाना खाने लगे तो इतने शर्मिन्दा हुए कि अरे हम तो सब्जी में नमक डालना ही भूल गये थे और किसी ने एक शब्द नहीं कहा इस बारे में और इतनी बेस्वाद सब्जी ऐसे ही खा ली। उस पे तुर्रा ये की युनुस जी ने तो खाने की तारीफ़ भी कर दी। हम यहां उन सब से क्षमा मांग रहे हैं कि आप को इतना बेस्वाद खाना झेलना पड़ा।
दस बजते न बजते हम वहां से निकल पड़े पिछली बार की तरह्। रास्ते में हमें सिन्ड्रेला की कहानी याद आ रही थी और हंसी आ रही थी कि उसकी डेड लाइन बारह बजे की थी और हमारी 10 बजे की हो गयी। हम अपने आप को सिन्ड्रेला बिल्कुल नहीं समझ रहे जी। कुल मिला कर दूसरी शाम पहली शाम से भी ज्यादा आनंदमय रही। एक बार फ़िर मनीष जी का धन्यवाद देना चाहूंगी जिनकी बदौलत ये दो शामें बहुत खुशगवार रहीं। आशिष महर्षि और हर्ष नहीं आ पाये इस बाद का उन्हें भी अफ़सोस है और हमें भी, खैर अगली बार। अब अगली बम्बई ब्लोगर्स मीट हमारे घर पर रखने का इरादा बना रहे हैं , नीरज जी आप को भी बहुत याद किया दोनों दिन हमने
वीडियो देख कर आप मनीष जी और युनुस जी किस आनंद से सुन रहे हैं इसका अंदाजा लगा सकते हैं।
हम तहे दिल से सागरचंद जी का शक्रिया अदा करते हैं जिनकी तकनीकी सहायता के बिना ये पोस्ट बनाना हमारे लिए संभव न था।
19 comments:
जो कुछ भी आप कर सकी, वह बहुत कुछ रहा, आपके द्वारा इस पोसट का वाचन कर सका यही बहुत बड़ी बात है।
मुण्े आपका ब्लाग पढ़ कर खुशी होती है।
चलिए अफ़सोस नही कि ऐन वक्त पर बिज़ली के धोखे के कारण आप वीडियो अपलोड नही कर पाई पर विवरण तो दे दिया आपने!!
सीधे दिल से लिखती हैं आपदिमाग से नही!!
बस लिखते रहिए!!
अनीता जी, राँची पहुँच गया हूँ और आप सब की पोस्ट पढ़ रहा हूँ तो लग रहा है कि आप लोगों ने कोई बिंदु शायद ही छोड़ा है । खैर हम सब मिले और सबने एक दूसरे से कुछ ना कुछ पाया, यही इस मीट की सफलता थी। बहुत रोचक ढ़ंग से आपने अपनी बातें रखी हैं, हाँ पर इस पोस्ट में वीडिओ दिख नहीं रहा जिसका आपने जिक्र किया।
अब कुछ देर में आप सब के बारे में मैं भी अपने बची खुची बात रखूँगा...
काफी अच्छा लगा पढ़कर…।
आपको और सभी ब्लागर भाइयों को बहुत सारी शुभकामनाएँ।
क्या वीडियो लगाया है आपने?मुझे तो मज़ा आ गया
इस मिलन से ये तो हुआ कि आपसे और विकास से मुलाकात हो गई,आंखो देखा हाल गज़ब लिखतीं है आप, लिखते रहिये गाहे बगाहे मिलते रहिये यही कामना है, मेरी बुलन्द आवाज़ की तारीफ़ की है आपने इसके लिये शुक्रिया
चलिये यह भी अच्छा रहा, अब मीट पकाने ( ब्लॉगर मीट) से आगे बढ़कर गीत संगीत की महफिलें भी सजने लगी है!
ब्लॉग से कुछ सार्थक करने की शुरुआत आप मित्रों ने कर दी है .. बधाई स्वीकार करें
अनीताजी आपने बहुत अच्छा जिक्र किया है इन दोनों महफिलों का वो लोग बहुत भाग्यवान है जिनको दोस्तों का साथ मिलता है.
भई अनीता जी वीडियो का इंतजार है । और रहेगा । जब भी फुरसत मिले तो जरूर चढाईयेगा भूलियेगा मत । और हां मुझे 28 दिसंबर की तारीख याद हो गई है ।
बहुत अच्छा लगा सारा मेल-मुलाकात का विवरण पढ़कर। शानदार। हमें भी इंतजार है कि बिना नमक का खाना कब खाते हैं। आपने गाना काहे नहीं सुनाया कोई?
दूसरी किस्त भी पहली जैसी ही स्वादिष्ट लगी। अब जब मनीष रांची ही पहंच गए हैं तो तीसरी तो क्या आएगी जब तक हम मुंबई का चक्कर नहीं लगा लेते(जो इस जन्म में तो मुमकिन नहीं लगता )
अनिता जी इसी तरह मेलमुलाकात बनाये रखिये और सारा विवरण हमारे लिये ले आया करिये।हम पढकर आनन्दित हो लेंगें।
हम सब लोग इतनी मस्ती के बीच शायद नमक को नोटिस ही नहीं कर पाए. अभी आपका लिखा पढ़ के भी याद नहीं आ रहा कि क्या नमक सचमुच कम था? या ये भी हो सकता है कि आपके चट्पटे अचार ने नमक की कमी पूरी कर दी हो.
क्या, सब्जी में नमक नहीं था? ऐसा हो नहीं सकता। हमें तो इतनी स्वादिष्ट लगी थी कि क्या बताएं। वाकई अब तो तुलसी की ये लाइन गलत लगने लगी है कि नोन बिना सब व्यंजन सूना। अपनेपन की मिठास सारे स्वाद भुला देती है। सचमुच ब्लॉगिंग ने आज की एकाकी होती जिंदगी में रिश्तों की एक नई दुनिया खोल दी है।
चलिए आपके इस लेख से हम भी शामिल हो लिए आपके साथ अच्छा लगा इसको पढ़ना !!
wah wah !! kya description hai !! haan aisi shaamein hamesha yaad rehti hain. AUr jindagi mein aisi hi cheezon mein mazaa aata hai. mai khush hoon ki aap ka circle bada ho raha hai.
मुरीद तो पहले भी था, अब ज़्यादा हो गया हूं आपकी शैली का. ब्लॉगर्स मीट का इससे बढिया रिपोर्ताज का इंतजार ही रहेगा.
इजाजत दें तो कहूं युनूस भाई को कि बहनों के लिए भाई संबोधन ज़रा खलता है. क्यों नहीं हम भाइयों के लिए बहन संबोधन इस्तेमाल कर पाते हैं!
खैर, इससे मिर्च मसाला निकालने की ज़रूरत नहीं है.
तमाम बंधुओं का मेरा सलाम
अगली बार ब्लॉगर मिलन में मैं जरूर शामिल होऊंगा। एकाध पोस्ट भी ठेलूंगा।
लेकिन मुझे तो वीडिओ दिखाई ही नही दे रह मै अपनी टिप्पड़ी कैसे दूँ?
anita jee aap apne man ke kaam karne ke liye itnaa badhiya baqt nikaal lete hai kabhee kabhee to aapse irshya hotee hai. aapne apne manchahe lo se milne ko i 2 blog mai jeevant kar diya hai. betakalluf aur bebaak aapka vibran padhkar mazaa aa jata hai
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