एक यादगार शाम
कोई डेढ़ हफ़्ता पहले अपने मेल बोक्स में युनुस जी का नाम देख कर हम चौंक गए। चौकें इसलिए कि 6 महीने पहले जब नया नया ब्लोग जगत में घूमना शुरु किया था तो युनुस जी के ब्लोग पर अक्सर गये थे( भला इस देश में गानों का रसिया कौन नहीं?), कई बार टिप्पणी भी छोड़ी पर कभी पता नहीं चल पाया कि उन्होंने हमारी टिप्पणी देखी भी कि नहीं। हम थे नये नये एकदम अनाड़ी, तकनीकी ज्ञान न के बराबर होने के कारण उनके ब्लोग पर टिप्पणी छोड़ना हमारे लिए नाकों चने चबाने के जैसा होता था। हम नियमित रुप से वहां जा कर गानों का मजा लूट आते थे। बाद में जब हमने लिखना शुरु कर दिया तो युनुस जी को कभी हमारे ब्लोग पर आते नहीं देखा इस लिए लगा कि शायद उनको हमारे बारे में जानकारी नहीं होगी।
खैर उनके मेल से पता चला कि मनीष जी बम्बई आ रहे हैं और उनको बम्बई के ब्लोगरों के साथ मिलवाने का जिम्मा युनुस जी ने अपने ऊपर ले लिया है। मनीष के आने की खबर हमें पहले से थी, उन्होंने कई दिन पहले मेल करके बता दिया था और हमने मिलने का वादा भी किया था। पर युनुस जी का मेल से पता चला कि और ब्लोगर भाइयों से भी इस बहाने मिलने का मौका मिल सकता है तो हम बहुत खुश हो गये। युनुस जी को तुरंत अपनी सहमती जताते हुए हमने अपना फोन नबंर भेज दिया।
मनीष जी शायद 26 को बम्बई पहुंच गये, और हमारी बदकिस्मती ये कि हमारा नेट क्नेक्शन टूटा हुआ था 23 से और अभी तक ठीक नहीं हुआ था। 27 को हमने विकास से बात की, फ़िर मनीष जी और युनुस जी से बात हुई, पता चला कि उसी शाम मिलने का प्रोग्राम बन रहा है, शाम को 7 बजे। हमारे ये कहने पर कि हम पहुंच जायेंगे, मनीष को थोड़ा अचरज हुआ (और शायद खुशी भी)। कहे बिना रह न सका कि मै तो छोटे शहर से हूँ, जहां महिलाएं रात में अकेले निकलने में हिचकिचाती हैं, अब हम सोच रहे थे कि जायें या न जायें पर सब से मिलने का लालच ज्यादा हावी हो गया और हमने कहा तुम चिन्ता मत करो हम आयेगें। अब उसे क्या बताते कि कॉलेज के जमाने में हमारी मेनेज्मैंट क्लास ही शाम को 8 बजे खत्म होती थी और हम रात को दस बजे घर पहुंचते थे। शुक्र है कि आज भी बम्बई में महिलाओं के लिए रात में सफ़र करना सुरक्षित ही है काफ़ी हद्द तक, हालांकी धीरे धीरे हालात बिगड़ रहे हैं।
शाम को पौने आठ के करीब हम वहां पहुचें और बाकी के लोग भी उसी समय पहुंचे, सब ट्रेफ़िक की बदौलत्। युनुस जी, अभय जी, विमल जी, प्रमोद जी एक साथ आये और अनिल जी थोड़ी देर के बाद आये और हम अलग दिशा से आये थे। मनीष और विकास तो पहले से ही मौजूद थे।
मनीष के कमरे में महफ़िल सजी। हमारे हिसाब से असली मेजबान तो विकास था(पिछ्ले चार साल से वहां रह रहा है तो आई आई टी उसका घर हुआ कि नहीं), मनीष और हम सब तो मेहमान, इस लिए और कुछ अपनी उम्र का फ़ायदा उठाते हुए हमने विकास को मेजबानी के काम पर लगा दिया। चेहरे देखते ही मैं युनुस जी, अनिल जी और मनीष को पहचान सकी, बाकी किसी के चेहरे मैंने देखे हुए नहीं थे। बड़े शर्म के साथ कहना पड़ रहा है कि प्रमोद जी और विमल जी के ब्लोग भी मैने कभी देखे नहीं थे, तो उनको पहचानने का सवाल ही नहीं उठता था। आशा करती हूं कि प्रमोद जी और विमल जी माफ़ कर देगें।
परिचय का दौर शुरु हुआ। प्रमोद जी से मनीष और विकास काफ़ी डरे डरे से थे, उनका व्यक्तितव है ही ऐसा रौबीला, हम भी उनसे सभंल कर बोल रहे थे। अभय जी बता रहे थे कि किसी जमाने में वो और भी रौबीले लगते थे। मनीष के साथ हमारा जो पहले पत्र व्यवहार हुआ था उस के बल पर हमने सोचा था कि वो कॉल सेंटर में काम करते हैं, पर असलियत एकदम अलग थी, वो तो सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। वो बहुत ही स्नेही, शिष्टाचारी, और इन्टेलिजेंट हैं, मुझे उनसे मिल कर बहुत अच्छा लगा। युनुस जी एकदम दोस्ताना तरीके से मिले। उन्होंने माना कि हमारी टिप्पणियां उन्होंने देखी थीं। अपनी व्यस्त जीवन शैली का हवाला दिया। हमारे मन में जो छ्वी थी कि शायद वो रिर्सव्ड नेचर के हैं वो बिल्कुल बदल गयी। उन्होंने ऐसा लगने नहीं दिया कि पहली बार मिल रहे हैं।
अभय जी का ब्लोग मैंने देखा हुआ था, और उनकी कानपुर यात्रा का विवरण पढ़ा हुआ था और अनिल जी अक्सर मेरे ब्लोग पर आ जाते हैं तो उनका ब्लोग भी मैंने देखा हुआ था। विमल जी से हम पहली बार मिल रहे थे। परिचय के दौर में सब इतनी विनम्रता से अपने बारे में बता रहे थे कि आप को लगे जैसे ये कुछ करते ही नहीं जब कि सब के सब अपने अपने क्षेत्र के महारथी हैं। जैसे अभय जी को जब हमने पूछा आप क्या करते हैं तो बोले मुंशीगिरी करता हूँ मजदूर आदमी हूँ, हा हा हा। पता चला वो टी वी के सिरियल लिखते हैं, यानी के क्रिएटिव राइटर।
हर कोई ब्लोग पर कैसे आया से लेकर तकनीकी तकलीफ़ों तक बातों का दौर चला। विकास ने जिम्मा उठाया कि वो तकनीकी ज्ञान देने के लिए एक ब्लोग बनायेगा। काम भी उसने बड़ी तेजी से किया, आज जब नेट कनेक्शन ठीक हुआ तो हमने देखा उसने ब्लोग बुद्धी नाम से ये चिठठा शुरु कर दिया है।
हम तो सोच कर आये थे कि युनुस और मनीष जी हो और गाने की बातें न हो ये हो नहीं सकता और हो सकता है कि किसी दुर्लभ गाने की कोई चर्चा हो पर बाकी बातों में गपियाते वक्त कैसे उड़ गया कि पता ही नहीं चला। साढ़े नौ बजे हमने उठना चाहा तो प्रमोद जी और युनुस जी बोले अरे अभी तो ठीक से जान पहचान भी नहीं हुई, हम फ़िर बैठ गये। हमारा भी मन कहां था जाने के लिए, सिर्फ़ दूर जाना है इस ख्याल से उठ रहे थे। खैर अब सबको चाय की तलब लगी थी सो हम लोग चाय की तलाश में कमरे से निकल लिए। करते करते दस बज गये और अब हम ने सबसे विदा ली, पर उसके पहले विमल जी और उनका साथ देते अभय जी और अनिल जी का गाना सुना। सुन कर मजा आ गया। लगा महफ़िल तो अब जमने लगी है पर हमें जाना पड़ेगा। सब इतने स्नेह से मिले कि इन तीन घंटों में बड़े अपने से लगने लगे। हमारा वापस आने का बिल्कुल मन नहीं कर रहा था, पर मजबूरी थी ।
अभय जी की पोस्ट से पता चला कि हम झील के किनारे चांदनी रात का लुत्फ़ उठाने से वंचित रह गये। आशा करते हैं कि ऐसा मौका फ़िर आयेगा जब हम सब फ़िर एक बार फ़िर मिलेगें। एक बात जो हमने पूछी नहीं पर हमारे मन में घुमड़ रही है कि बम्बई में और भी महिला ब्लोगर्स तो होगीं हिन्दी में लिखने वाली, अगर उनसे भी संपर्क हो पाए तो कितना अच्छा हो।
अभय जी की पोस्ट से पता चला कि हम झील के किनारे चांदनी रात का लुत्फ़ उठाने से वंचित रह गये। आशा करते हैं कि ऐसा मौका फ़िर आयेगा जब हम सब फ़िर एक बार फ़िर मिलेगें। एक बात जो हमने पूछी नहीं पर हमारे मन में घुमड़ रही है कि बम्बई में और भी महिला ब्लोगर्स तो होगीं हिन्दी में लिखने वाली, अगर उनसे भी संपर्क हो पाए तो कितना अच्छा हो।
मनीष जी धन्यवाद, आप की बदौलत मुझे दूसरे ब्लोगर भाइयों से मिलने का मौका मिला, फ़िर कब आ रहे हैं? बाकी सब ने हमसे वादा किया है कि घर पर आयेगें, हमारा घर दूर होने के बावजूद, आशा करते हैं कि वो अपना वादा भूल नहीं जायेगें।
23 comments:
आपने एक बार पुनः मेरी तस्वीर नहीं लगायी. खैर, वो तो मनीष जी कर ही लेंगे. वाकई मजा तो बहुत आया.
अनिता दी , आनन्द आ गया...सरलता से किया गया सजीव चित्रण पढ कर लगा कि हम भी थे वहाँ :) ! अब तो हम भी उत्सुक हैं आभासी दुनिया के मित्रों से मिलने को !
अनिताजी, आपने बड़ा जीवन्त कर दिया उस दिन को,कितनी खूब्सूरती है आपकी लिखाई में,वाकई आपका आना वो भी इतनी दूर से हम तो वाकई अचरज में पड़ गये थे,और आपको दाद देनी होगी कि आपने लिखने मे उस शाम की कोई कसर नहीं छोड़ी, आपसे भी मिल कर अच्छा लगा, और वाकई मनीषजी, और विकास से मिलना सुखद रहा, यूनुसजी से इसके पहले भी हम मिल चुके हैं, पर वाकई वो शाम लम्बे समय तक याद रहेगी, शुक्रिया उस शाम का इतना बढिया विवरण देकर हमारा सम्मान बढाया,इस मिलन पर विशेष ब्लॉग बुद्धि के लिये शुभकामनाएं
वही मै सोच रहा था कि आप कहाँ चली गई। चलिये बहुत दिनो एक बार फिर आपको पढना अच्छा लगा। आपने जो चित्र लगाया है, कम से कम यह तो बता दीजिये कि उसमे कौन-कौन है? कल दूसरे ब्लाग पर यह चित्र देखा था। उसमे भी कुछ नही लिखा था।
Anita ji
apse blog par milkar bahut acha laga. ab main Bombay aa rahi hoon, Bandra mein. Hoprfully see you
Devi
अनिता जी , आनंदम् मंगलम्....बहुत मगन होकर लिखा है वृत्तांत आपने। तमाम ब्लागर मित्रों के दर्शन भी करा दिये। मज़ा आया। उधर वो चलने का जब जिक्र आया और फिर गानों की महफिल जमने लगी तो सच कहूं, अपना भी गाने का मन होने लगा। मुद्दतें हो गई गुनगुनाए....मित्रों की सोहबत में। खैर...
आपने संक्षिप्त ब्लागर सम्मेलन का आनन्द हमें भी दिया, धन्यवाद्। मुम्बई आना हुआ तो आपको पहले बताना पड़ेगा, यह बात समझ में आ गई है।
यह तो बहुत दमदार विवरण था - शायद असली घटना से ज्यादा रोचक प्रस्तुतिकरण था। बधाई।
अनीताजी
आपने मुझे जानकारी नहीं दी। मैं नाराज हूं।
सुन्दर, शानदार, मजेदार विवरण। अभयजी और अनिलजी गाते भी हैं। वाह-वा! प्रमोदजी की पोस्ट न
पढ़कर आपने अच्छा ही किया। पढ़ने और न पढ़ने पर भी समझ में अन्तर नहीं पड़ता!
अरे वाह, फोटो के साथ बढिया विवरण दिया आपने ।
आरंभ
जूनियर कांउसिल
मजेदार विवरण. मजा आया. काश हम भी वहाँ होते.
Anita ji, its really great. Actually pictures dekh kar hum wahan apne aap ko dhoondh rahe the ki bhai meri pic kahan kho gayi? aap ki mahafil mein haazir na ho kar bhi aap ke vivaran se aisa feel kar paye ki hum bhi wahan maujud the, aur isi liye apni tasveer dhoondh rahe the. Mumbai ki kisi bhi mulakat ke waqt aap ko milna ab ekdam jaroori ho gaya hai. ekdam hi live mulakat lag rahi hai.. dhanyavaad
एक यादगार शाम.. और आपका बढ़िया विवरण.. बहुत जल्दी ही आप के घर पर धमकने की योजना पर काम जारी है..
ब्यौरा पढ़ कर खुशी हुई ।
पहले तो मेरी प्रशंसा स्वीकार कीजिये इतने चित्रात्मक विवरण का, सारा दृश्य सामने आ गया, लगा हम भी वही कही खड़े हो कर सब कुछ देख रहे है।
लेकिन ये क्या कि मनीष जी से गाना नही सुना गया, ये तो गलत बात है। ऐसे तो हमेशा ब्लॉग पर कभी किशोर कुमार और कभी भिखारी ठाकुर की याद दिला देते हैं और मित्रों के सामने भाव खाने लगे।
मुझसे सदाचारी, शरीफ़ की भयावह तस्वीर का दुष्प्रचार करके आपलोग अच्छा कर रहे हैं? एंड यू टू, ब्रूटस?..
लगता है, मुम्बई आना ही पड़ेगा। मिलती रहिए और ब्लॉगरों के बीच प्यार-मुहब्बत बढ़ाती रहिए।
मुलाकात का विवरण बहुत बढिया रहा... धन्यवाद।
बहुत सुन्दर विवरण देने के लिए धन्यवाद ।
घुघूती बासूती
it was very nice to know that all you blogger friendsw have met each other and started socilasing in real.... so Internet is really changing people's lifes.
रोचक बना दिया आपने इस विवरण को!!
बढ़िया!!
अनिता जी ग़लत बात.... इतनी बढ़िया मुलकात करी है आपने इन दिग्गजों से हमे बताया भी नही, वैसे पोस्ट इतनी दमदार थी की पढ़ कर मज़ा आ गया
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