तो
मेरी दिवारों में बड़ी बड़ी खिड़कियां है,
दिखती है उनसे आस पास फ़ैली,
बच्चों की किलकारियां,
बच्चों की किलकारियां,
अलसायी दुपहरिया की गप्पें,
सीती,पिरोती, पापड़ बेलती कलाइयों की खनकती चूड़ियां,
दिवारों के इस पार पसरा पड़ा है अजगरी सन्नाटा,
बड़ी बड़ी अलमारियां, किताबें ही किताबें,
दोस्त हैं मेरी, पक्की दोस्त,
सवाल पूछूं तो जवाब देती हैं
कभी कभी खुद भी पूछ लेती हैं,
कहानी, कविता सुनाती हैं ,
दुनिया की सैर कराती हैं,
मेरे संग मस्ती की तान छेड़तीं तो……।
नाक तक भरे रेल के डिब्बे,
गाती, बुनती मैथी धनिया साफ़ करती
ये अनजानी रोज की हमसफ़र मुसाफ़िरनें,
उनकी चुहलबाजी में शरीक होने को मचलता मेरा मन,
आस पास फ़ैले हजारों नाम गूंजते हैं
इन कानों में,
कोई मेरा भी नाम पुकारे तो………
दोस्ती की पहल करने को
बैठने की जगह देखड़ी हो जाती हूँ,
वो थैंक्यु कह बैठ जाती है
और खो जाती है अपनी रंग रलियों में
बिना नजर घुमाए
मैं बगल में दबी किताब को ,
किताब मुझको देखती है,
अगर किताब कुछ बोल पड़ी तो………
28 comments:
दिवारों के इस पार पसरा पड़ा है अजगरी सन्नाटा ---- अकेलापन का आभास
किताबें ही किताबें,दोस्त हैं मेरी -- सच में किताबें ही सच्ची दोस्त होती है.
दोस्ती की पहल करने को बैठने की जगह दे खड़ी हो जाती हूँ --- बहुत ही सुन्दर मासूम ख्याल...
बढिया लिखा है। आपके ब्लाग मे आना अनोखा अनुभव है। कभी गद्य मिलता है कभी पद्य।
थोडी जोर से पहल करिये। इतनी कि मुसाफिरने अनसुना न कर सके। शुभकामनाए।
अरे इत्ते सारे ब्लागर दोस्त हैं और आप किताब से हेलो बोल रही हैं। :)
कविता सुन्दर है, मन को छू लेती है, ऐसे ही कहती रहें लगातार।
बडी अलग सी सुंदर कविता । आप ही बात चीत की पहल कर लेतीं तो शायद बात बनती ।
मुझसे दोस्ती करेंगी ? :-)
ऎसा ही होता है कुछ कुछ हमारे साथ भी. जो किताब पढ़ते हैं उनके दोस्त किताबों में ही होते हैं या फिर जिनके दोस्त बाहर नहीं होते वो ही किताबें पढ़्ते हैं. पता नहीं.
ए लो , कल्लो बात!! हमरे रहते अउर कौनो दोस्त की ज़रुरत ही काहे है जी!! हम वज़न मा हल्के है तो का हुआ, हैं तो अकेले दस दोस्तों पे भारी ना!!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने!!
keep it going mam ! It is a good poem. Would like to read more ....
sada kee tarah arthpoorn hai bahut khoob
Anil
पर किताबें सचमुच पक्की दोस्त हैं अनिता जी कभी धोखा नही देती
ओह शाम को घर लौटते समय मेरे साथ भी तीन किताबें हैं। ब्रीफ केस खोलते ही उछलती हैं। एक को उठाओ तो दूसरी मचलती है।
आप के भाव मैं बहुत महसूस करता हूं।
वाह. ये कविता नही है. ये कविता से कुछ आगे है.ये एक सच्चाई है. मुझे लगता है कि हर ब्लोगेर के मन की बात कह दी आपने. मैं जब कभी भी ब्लोग्वानी पर आता हूँ आपको जरुर पढता हूँ. अच्छा लगता है.
Very nice Anitaji,
Zindagi ke yahi sachhai hai
गाती, बुनती मैथी धनिया साफ़ करतीये अनजानी रोज की हमसफ़र मुसाफ़िरनें,उनकी चुहलबाजी में शरीक होने को मचलता मेरा मन,आस पास फ़ैले हजारों नाम गूंजते हैं इन कानों में,कोई मेरा भी नाम पुकारे तो………
दोस्ती की पहल करने को बैठने की जगह देखड़ी हो जाती हूँ, वो थैंक्यु कह बैठ जाती है और खो जाती है अपनी रंग रलियों में बिना नजर घुमाए
lekin yahan hum ek suzav dena chahenge ki aap bhi shuruat kar sakti thi baate karne ki, vaise bhi baatuni to aap hai hi!!!
Lekin ek baat hai ki kitaabon ke jaisa dost kahin nahi milta, jab bhi jee chaha apna mann bahla deti hai. good article, keep it up.
मन को छू लेती हुई कविता !! साधुवाद आपको !
टेस्टिंग कमेंट
परीक्षण टिप्पणी!!
बहुत सुन्दर ! सबका साथ तो एक साथ नहीं मिलेगा. या किताबों का या पड़ोसिनों का।
घुघूती बासूती
बहुत खूब। आपकी मेल जितनी खूबसूरत होती हैं, कविताएं उससे भी प्यारी।
यकीन जानिए मैंने बहुत समय के बाद इतनी सरस और दिल को छू लेने वाली कविता पढी है।
बधाई।
बेहद सुंदर. बाद वाला हिस्सा मुझे हमेशा से रोमांचित करता रहा है. अपनी एक दोस्त ने आपकी ही शहर में 'लोकल रेल' पर एक उम्दा रिसर्च किया है. देखना चाहें कभी तो बताइएगा.
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने.
"वो थैंक्यु कह बैठ जाती है
और खो जाती है अपनी रंग रलियों में
बिना नजर घुमाए"
ये तो जीने का तरीका होताक है जो शायद उन्होंने वक्त से सीखा होगा. हर किसी से दोस्ती कर ले तो फ़िर उनकी जिंदगी कैसे चलेगी.. कभी कभी कुछ लोग तमाम विवशताओं के बाद भी तभी तक अच्छे से जी पाते हैं जब तक उनकी जिंदगी में भावनाएँ नही आती.
वैसे बुरा ना माने तो एक बात पूछू? ये तस्वीर आपने कहाँ ली है? अगर अप इनको व्यक्तिगत रूप से पहचानती हो, तो कभी मेरा भी परिचय करवैयेगा. :)
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Anita jee
kahee padha tha
Milo to bebajah milo
kabhee kisee jagah milo
talaash meri jindgee
zunoon mera naam hai
dilo mai jyoti pyaar kee
jagaana mera kaam hai
phir ek guru mile
say hi to all
shake hands with few
but give your heart to the true
vaise hame aap seat dete
to ham to khud dostee kar lete
aur jo bachha muka chook jaye to
aap khud hee na pahal kar dete
Bahut badhiya kitaabo se shuru kiya anjaan sahyatriyo tak le jaake bade andaaz se bataya jab likhe ko koi subject nahee ho tab bhee aap apne andaaz se hee blog kee jagah bana lete ho
PRANAAM
apki kavita kuch apni se he kahani lagi.....bhut sunder....
bahut khoob aur bahut sundar vichar sundar dhabdon ko odhe huye
masoomshayer
shayarfamily.com
बहुत ही सरल-सहज किंतु उत्तन भाव से प्रेषित है कविता हृदय को छू गई…।
बहुत सुंदर!!!
सहज़ सरल शब्दों में जिन्दगी के साथ चलते कुछ कदमों के निशां ... लाजवाब करती प्रस्तुति ... आभार
धन्यवाद सदा जी
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