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May 28, 2010
ये खबर पढ़ के जितनी खुशी हुई उतना ही उस बच्चे के लिए खराब भी लगा। एक होनहार बच्चा सिर्फ़ गरीब होने की वजह से अपना सपना पूरा न कर पाये, ये नहीं होना चाहिए। पि्छले महीने का एक वाक्या याद आ गया। स्टाफ़ रूम में बैठे थे, मेरी सहकर्मी और सहेली रमा ने बताया कि एक लड़की है जो बहुत जहीन है लेकिन परिक्षा से कुछ दिन पहले से अनमनी है, पूछने पर पता चला कि उसके पिता उसे पटना के पास कोई गांव है वहां उसे दादी के पास भेज रहे हैं। पढ़ाई छुड़वा रहे हैं। उसके पिता को बुलाया है तुम जरा साथ रहना बात करने के लिए। हमने हामी भर दी
उस लड़की का पिता आया। बातचीत का सिलसिला शुरु हुआ। पता चला कि वो मलाड स्टेशन पर बूट पॉलिश का काम करता है, चार बच्चे, पत्नी, छोटा भाई और उसका परिवार साथ में हैं जिनकी जिम्मेदारी इस के ऊपर है और अब बम्बई के खर्चे सहन नहीं कर पा रहा, इस लिए सबसे बड़ी लड़की की पढ़ाई छुड़वा रहा है और बाकि के तीन बच्चे गांव में पढ़ेगें। जब हमने वादा किया कि हम दो साल तक उसकी बड़ी लड़की और सबसे छोटी लड़की की जिम्मेदारी उठायेगें तो उसकी बांछे खिल गयीं और सारे लड़की की पढ़ाई छुड़वाने के सारे बहाने अपने आप हवा हो गये।
हम शिक्षकों ने निजी स्तर पर एक फ़ंड बना रखा है जिसमें हम हर महीने दो सौ रुपये दान खाते में डालते हैं और ऐसे बच्चों की मदद करते हैं। अभिषेक जिस के बारे में खबर छपी है कानपुर में है और कानपुर आय आय टी से पढ़ना चाहता है, आशा कर रही हूँ कानपुरवासी उसका सपना साकार करने में मदद करेगें। आमीन
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19 comments:
अनीता,
बहुत प्रेरक प्रसंग सुनाया है, हाँ ये कानपुर का लड़का कल यहाँ भी था पेपर में. यहाँ पर रोटरी क्लब वालों ने आई आई टी के दो बच्चे गोद लेने की प्रथा बना रखी है, पिछले साल भी लिए थे और उनकी पूरी पढ़ाई का खर्च उठाते हैं. इस साल भी और मुझे पूरा विश्वास है की वे इस बच्चे को ले लेंगे. यहाँ आई आई टी में भी ऐसे कुछ funds हैंकि ऐसे बच्चों को सहायता दी जा सके.
anita ji bahut achha laga ye sab pad ki aap ne niji tor par ye sab kiya
aap ki is post se jarur mujhe kuch sikhane ka moka mila
anita ji bahut achha laga ye sab pad ki aap ne niji tor par ye sab kiya
aap ki is post se jarur mujhe kuch sikhane ka moka mila
very good post
यह है सही अर्थों में शिक्षक होना।
अरे वाह हम भी ऐसी मदद की सराहना करते हैं जिससे प्रतिभाशाली बच्चे जो कि आर्थिक रुप से कमजोर हैं, उन्हें सहायता मिले और समाज को अपनी प्रतिभा का योगदान दें। हम भी मदद करने की पहल करना चाहते हैं।
अच्छा मार्गदर्शन
बहुत प्रेरक प्रसंग है
मेरठ के जिस बच्चे ने यू पि बोर्ड में टॉप किया है .अख़बार वाले इंटरव्यू लेने गए तो वो कोल्ड ड्रिंक बेच रहा था ...सुपर -३० का बिहार में रिज़ल्ट शानदार है .....आई आई टी में इस बार यू पी बोर्ड के बच्चो की सफलता ज्यादा है .हिंदी माध्यम का होने के बावजूद....
मुफलिसी ने कई हुनर जाया किये है .......अपनी आँखों से देखा है ....
आपकी बात से पूर्ण सहमत , अपनी मेहनत से निकल गया वो और बात है , नहीं निकल पाता तो एक होनहार बच्चा सिर्फ गरीबी की वजह से रह जाता !
वे दोनों लडकियां...जहाँ भी रहेंगी..आपलोगों का उपकार नहीं भूलेंगी...और उन्हें सुशिक्षित करने का संतोष हमेशा आपलोगों के मन में रहेगा...
रेखा जी ने अभी अच्छी खबर बतायी...रोटरी क्लब, कानपुर ने एक अच्छी परंपरा की शुरुआत की है..
पटना के Super Thirties तो हमेशा से ही सफलता के झंडे गाड़ते आई है...एक बार उनपर एक डाक्यूमेंट्री देखी थी...बच्चे एक कटोरी में भुने चने खा रहें थे और पढ़ाई कर रहें थे.
सराहनीय कार्य।
ये हुई न बात - आभार
विचारणीय मुद्दा यह है कि शासन, जिसका कर्त्तव्य योग्य को उचित शिक्षा दिलाना है,उसे साधन उपलब्ध न करा कर सस्ती ब्याज दर पर शिक्षा ऋण उपलब्ध करा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहा है.हो सकता है दलित जाति का होने के कारण इस बच्चे के लिए सरकार की कोई योजना हो. लेकिन यदि यह सवर्ण होता तो वह भी संभव नहीं था.
आपने जिस प्रकार के फंड की चर्चा की है, वैसे प्रयास निजी स्तर पर अनेकों जगह हो रहे हैं.मेरी पत्नी, जो शिक्षिका है, जब अभिभावक संपर्क में निकलती है, वहाँ यदि कोई बच्चा / बच्ची फीस के कारण न पढ़ पाने की बात करते हैं तो वे और अन्य शिक्षक मिल कर किसी भी स्रोत से उसकी फीस, बस और स्कूल ड्रेस का प्रबंध करवा देते हैं.यह कार्य वर्षों से चल रहा है.
अनितादी, ऐसे प्रसंग पढ़कर मन में आशा की किरण जागती है कि अभी भी गुरु शिष्य की महत्ता बनी हुई है.ऐसे बच्चे ज़िन्दगी भर अपने गुरुओं को याद रखते हैं..
vakai ek sarahniya aur anukarniya kam..
आप सभी की तहे दिल से शुक्र्गुजार हूँ । जी मैं जानती हूँ कि मैं कोई अलग काम नहीं कर रही, और भी बहुत से शिक्षक हैं जो उतने ही अपने काम के प्रति कटिबद्ध हैं जितनी मैं। मैं ने महज अपनी कौशिश बताई थी। इसके अलावा भी मेरे कॉलेज के चार पांच टीचर्स( मुझे मिला के) अपने अपने माता पिता के नाम से नगद पुरुस्कार देते हैं उन बच्चों को जो उनके विषय में प्रथम आया हो। मुझे बताते हुए अच्छा लग रहा है कि मैं चार पुरुस्कार अपने माता पिता के नाम से दे रही हूँ हर साल्।
विद्या दान सर्वोच्च दान
अच्छा लगा इसे पढ़कर। बहुत अच्छा!
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