बड़ी छोटी
वो सावन की घटाएं,झूलों की ऊँची पींगे,
वो बेफिक्री के दिन,
लाल इमली के चटकारे, चूरण के चस्के,
वो गीटे के खेल,वो घर की रेलपेल,
छुट्टियों में चचेरी,मौसेरी बहनों का आना,
रात भर चादरों में छिप कर घुसर पुसर करना,
दबी दबी हंसी, चमकती आखें,
क्या बातें चल रहीं हैं,
कान लगाये, चुपके से दीदी के बिस्तर पर चढ़ती,
दीदी घुड़कती, जा यहाँ से, बड़ों के बीच नहीं बेठते
खिसियाई सी, रोनाई सी माँ के आँचल में सिमटती,
सुनने को बेकरार, माँ-मौसी कयुँ ठठाती,
घुड़कती आवाज,छोटे भैय्या के पास सोजा,
बड़ों की बातों में नहीं बेठते,
हाय, काश मैं बड़ी होती,
हंसती गाती, दीदी का काला चश्मा,
माँ की लिप्सटिक, माथे की बिन्दिया
मेरी हो जाती
वक्त के रेले ने ठेलठाल खड़ा कर ही दिया
अहा, अब मेरी बारी आई,
हाय, कहाँ गये सब लोग, उजड़े गुलशन हैं
छुट्टियाँ ही नहीं होतीं,
कौन सी क्लासेस,कौन सा कॉलेज,
नीड़ बस गए, जिदंगी हाथों से
रेत सी फिसल गयी
मन के किसी कोने में
अब भी झरना बहता है, कल कल छल छल,
पावों में थिरकन है, होठों पे गीत,
सावन की घटा कई पोर छू जाती है,
झाड़ियों के झुरमुट से आती घुसर पुसर,
क्या बातें हो रहीं हैं,
मन जानने को व्याकुल,
कुछ नहीं ऑंटी, आप जाओ ना,
हाय, काश मैं छोटी होती
सुस्वागतम
आपका हार्दिक स्वागत है, आपको यह चिट्ठा कैसा लगा? अपनी बहूमूल्य राय से हमें जरूर अवगत करावें,धन्यवाद।
August 15, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
6 comments:
वाह, क्या बात है!!
उमर के दोनो पड़ाव की उलझन को आपने कितने आसान से शब्दों मे व्यक्त कर दिया!!
aapke blog mi aapni rai dena hamare leye bhot badi baat hai anitaji.
aap ke kalam hamesha se he who baatein lekhti hai jo Dil ko chu jati hai bhot badeya lekha hai hamare pass shabd nahi hai is ke taref mi
bachpan mi hum bade hone ka intzaar hai or bade hone per fir bachpan yaad aata hai ye kase baat hai shayad jeevan is ka he naam hai
vikky
Wah Anitaji.. bahut achchi kavita likhi hai aap ne. Parh kar maza aa gaya!
अनिताजी
अभी से ही आप संस्मरणात्मक मोड में ना जायें। अभी आपकी उम्र ही क्या है। पचास सौ साल बाद इस तरह की कविताएं लिखें।
वैसे गहरी बातें हैं, दिल से निकली हैं, तो दिल को छूती हैं।
आज तो बहूत आइटम पोस्ट कर डाले आपने।
आल दि बेस्ट
सादर
आलोक पुराणिक
वाह! बहुत बढ़िया । जीवन इसी का नाम हे । जो है वह नहीं , जो नहीं उसकी चाह है ।
घुघूती बासूती
Post a Comment