हमारे आस पास हमने देखा है कि आज कल ज्यादातर माता पिता को बच्चों की शादी में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।बच्चे खुदबखुद सब काम कर लेते हैं……जीवन साथी ढ़ूंढ़ने से ले कर शादी का हॉल बुक करने तक्। हमने भी सोचा कि बस हमारा काम भी हो गया, अब बेटा जब मान गया है तो खुद ही सब काम कर लेगा और हमें तो सिर्फ़ आशीष देने को हाथ भर उठाना होगा। लेकिन ये हमारा भ्रम था। लड़के ने साफ़ कह दिया कि उसकी जिन्दगी में कोई लड़की नहीं है और वो इसके लिए कोई मशक्कत नहीं करने वाला। उसने सोचा इस तरह मां को टाला जा सकता है। हमने भी हार नहीं मानी और कौशिश जारी रखी। आखिरकार वो दिन आ ही गया जब हमारा सपना पूरा होने जा रहा है। कोई भी खुशी तब तक पूरी नहीं होती जब तक उसमें अपनों का साथ न हो। मुझे लगता है कि ये तो बताना जरूरी नहीं न कि ब्लोगर मित्र मेरे उतने ही अपने हैं जितने मेरे सगे संबधी।
मैं आप सब को अपने बेटे के विवाह के शुभ अवसर पर सादर आमंत्रित कर रही हूँ इस उम्मीद के साथ कि आप सब मेरा नेह निमंत्रण सस्नेह स्वीकर कर हमारी खुशियों में सहभागी बनेगें। मेरा आप सब से अनुरोध है कि आप नवदंपति को अपना स्नेहाशीष दे मुझे अनुग्रहित करें।
विवाह कार्यक्रम इस प्रकार है: