बातें बातें बातें,
इधर उधर की बातें,
घर में बातें,नुक्कड़ पर बातें,
गहरी बातें, कोरी बातें,
चुभती बातें,हंसाती बातें,
उलहानी बातें, ठठाती बातें,
बोली अनबोली बातें,
भूली बिसरी बातें,
अकेले में मुस्कान जगाती बातें,
रेडीयो टीवी की इक तरफ़ा बातें,
उफ़न पड़ने को मन में धुमड़ती हजारों बातें,
बस में बातें, ट्रेन में बातें,
पाखानो में भी मोबाइल पर बातें,
तकियों के नीचे दुबके मोबाइल
खामोश कंपन से,
मिसड कॉल की बातें,
चलते लेक्चर में स म स से बातें,
दोनों कानों पर चिपके एक नहीं दो दो मोबाइल,
मुहँ भी दो होते काश की बातें,
खामोश मोबाइल और सफ़ेद स्याह कंपुटर,
टकटकी लगाये प्यासी आखें,
मौत सा सन्नाटा है,
बजती घंटी,चमकती हरी बत्ती,
खनकती हंसी,
हर सासँ की तार हैं बातें,
कितना कुछ़ है कह जाने को
kया तुम सुनोगे मेरी बातें
सुस्वागतम
आपका हार्दिक स्वागत है, आपको यह चिट्ठा कैसा लगा? अपनी बहूमूल्य राय से हमें जरूर अवगत करावें,धन्यवाद।
June 24, 2007
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10 comments:
निबंधकार प्रताप नारायण मिश्र का निबंध 'बात' आपकी इस कविता से मिलता-जुलता है। उन्होंने ४ पेज़ जो बात कही थी, आपने ४ पंक्तियों कह दी। बहुत खूब!!
बातें ही तो हैं सब कुछ!!
बढ़िया लिखा है आपने!
शुक्रिया!!
wah anita ji ketni baatein hai per fir bhi lagti hai kyu kaam hami ye baatein great thought. mem aap ki ek ye zara se baat ne humi aapni ketni porani baatein yaad dela di aapne shukriya .....
again nice baatein aapki
vikky
The article is so much real. After reading it, I was inspired to think again, the direction to which the population and human culture is going.
BAATEIN sirf baatein hi nahi hai..
bin baato ke jeev ka vajood adhura sa lagta hai
insan janvar pankhi keede patange har koi karta hai baatein
apni pani jaban main
apne apne gahrondo main
apne apno ke sath
aaur gairo ke sath
bin baato ke kay hai sansar
shayad kuch bhi nahai
shayad kahi bhi nahi.
GD
hello
Anita yahan to khajana hai.
fursat se aakar padoonga.
Keep writing.
बहुत अच्छी बातें आप ने अपनी कविता के माध्यम से कही है. बहुत बहुत शुभ कामना
आपकी कविता बहुत ही अच्छी लगी।
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सब जगह हैं बातें
पर अफसोस है कि
करते नहीं हम कभी काम की बातें
समय बीत जाती है पर
होती कभी नही काम की बातें
यदि हो काम की बात तो शायद मेरा देश हो जाए महान
सोचा कि क्यों न श्री गणेश से ही श्री गणेश किया जाय !
.
@ तकियों के नीचे दुबके मोबाइल
खामोश कंपन से,
मिसड कॉल की बातें,
चलते लेक्चर में स म स से बातें ...
......... इस नई तकनीकी का और इसके साथ बात का रिश्ता
बखूबी व्यक्त किया है आपने !
.
सबसे अच्छा लगा कि कहे और अनकहे के बीच बात के ठहरे
स्वरुप को उद्घाटित किया है आपने !
i dont know how to type in hindi , but whatever is there in this blog is incredible , really enriching i have become a fan of yours by going through your blog may god bless you and give a very healthy life
http://path-of-spirituality.blogspot.com
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