tag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post1972923739809402905..comments2023-09-22T23:12:32.610+05:30Comments on कुछ हम कहें: चक दे रेलवेAnita kumarhttp://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-72525330683376607812008-03-11T14:37:00.000+05:302008-03-11T14:37:00.000+05:30Hats off to such Railway employees. Aaj aapke arti...Hats off to such Railway employees. Aaj aapke article se pata chala ki jahan burai hai vahin achhaaiyan bhi hoti hi hai...Rajeshhttps://www.blogger.com/profile/00204407170714546335noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-30131713586402764072008-03-07T05:35:00.000+05:302008-03-07T05:35:00.000+05:30एकदम सहमत हूं। बढ़िया पोस्ट है। आपका नज़रिया मानव...एकदम सहमत हूं। बढ़िया पोस्ट है। आपका नज़रिया मानवीय भी है और पत्रकारीय भी।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-35917200040000978072008-03-03T18:33:00.000+05:302008-03-03T18:33:00.000+05:30अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी का बहुत धन्यवाद. :)राय ...अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी का बहुत धन्यवाद. :)<BR/>राय साहब जैसे लोग हैं सब जगह बस शायद सँख्या जरा सी कम हैं :)<BR/>और हाँ आपकी इस बात से सहमत हूँ कि ब्लॉग के जरिये हमे जो " फर्स्ट हैंड" किस्म की जान्कारी मिलती है उससे सोच को नया आयाम मिलता है..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-28557406720561248272008-03-02T18:50:00.000+05:302008-03-02T18:50:00.000+05:30आज ही कोटा पहुँचा। सुन्दर पोस्ट है। हम भारतियों का...आज ही कोटा पहुँचा। सुन्दर पोस्ट है। हम भारतियों का सब से बड़ा अवगुण है बुरे को देख कर मुंह फेर लेने का। यह नहीं हो तो बुराई कोसों नजर न आए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-87332497753119549642008-03-02T18:34:00.000+05:302008-03-02T18:34:00.000+05:30आंटी,आपने बिल्कुल सही लिखा..." कई बार हम समझ लेते ...आंटी,<BR/>आपने बिल्कुल सही लिखा..." कई बार हम समझ लेते हैं कि आकाश उतना ही बड़ा है जितना हमारी आखों में समाता है। "<BR/>इस दुनिया में सच-झूठ,अच्छा-बुरा,सही-ग़लत,ईमानदारी-बेईमानी हमेशा से रही है और रहेगी. पर यदि जीवन का उजला पक्ष हमें थोड़ी सी भी अच्छाई करने पर मजबूर करता है तो कहीं न कहीं हम किसी न किसी की भलाई कर पाते है.<BR/>संवेदनशीलता और संवेदनहीनता का अच्छा उदाहरण आपने अपने पोस्ट में प्रकाशित किया है.<BR/>धन्यवाद.डॉ. अजीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/10047691305665129243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-59206016182180331882008-03-01T13:41:00.000+05:302008-03-01T13:41:00.000+05:30अनिता जी बात इन्सानियत की है- मानसिकता की है। दो व...अनिता जी बात इन्सानियत की है- मानसिकता की है। दो व्यक्ति जो दुर्धटनाग्रस्त औरत को भी लूटने से बाज नहीं आये। दूसरी तरफ राय साहब जैसे शख्स भी थे जो जी-जान लगा कर दौड लगा रहे थे कि किसी भी तरह से बच्ची को बचाया जाये। बहरहाल बच्ची का बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-84698121170756971502008-03-01T13:31:00.000+05:302008-03-01T13:31:00.000+05:30आमीन, आमीन!!!!यह पहली वाली खबर पढ़ने में आई थी पर स...आमीन, आमीन!!!!<BR/><BR/>यह पहली वाली खबर पढ़ने में आई थी पर सिर्फ़ एक कॉलम की जबकि बकवास खबरों के लिए दो से चार कालम की जगह होती है हमारे अखबारों के पास!!<BR/><BR/>खबर पढ़ने के बाद यही एहसास हुआ कि दुनिया में चमत्कार नाम की कोई चीज/बात वाकई होती है।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-63548934272494159412008-03-01T13:25:00.000+05:302008-03-01T13:25:00.000+05:30दूसरों के प्रति संवेदनशीलता ही काफ़ी है. कोई फर्क ...दूसरों के प्रति संवेदनशीलता ही काफ़ी है. कोई फर्क नहीं पड़ता कि व्यक्ति कहाँ काम करता है. और ये तो सचमुच ही चमत्कार है कि इतनी छोटी बच्ची बच गई. भगवान जो चाहें, वही होता है.Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-10944562520531808282008-03-01T10:51:00.000+05:302008-03-01T10:51:00.000+05:30मेरा मानना है कि बेईमान लोगों की तादाद बहुत कम है।...मेरा मानना है कि बेईमान लोगों की तादाद बहुत कम है। परंतु समाचारपत्रों को बेईमानी, धोखाधड़ी की ख़बरें बताने की आदत है। इसलिए बहुत से ईमानदार लोगों की ईमानदारी, सहयोग, सेवाभावना की बातें सुनाई नहीं देतीं। हमें अभी आस्था रखनी चाहिए। - आनंदआनंदhttps://www.blogger.com/profile/08860991601743144950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8623065565625964408.post-27264945587653707972008-03-01T09:01:00.000+05:302008-03-01T09:01:00.000+05:30अनीता जी, मुझे लगता है फ़र्क़ सरकारी नौकरी में होन...अनीता जी, मुझे लगता है फ़र्क़ सरकारी नौकरी में होने, अधिकारी होने या ना होने से नहीं पड़ता, इन घटनाओं ने बताया कि कुछ व्यक्ति संवेदनशील थे और जिम्मेदारियों को निभा रहे थे और कुछ बेहद निर्मम थे और केवल पैसों के पीछे भाग रहे थे । दुनिया दोनों तरह के लोगों को मिलाकर बनी है । वैसे आपकी पैनी दृष्टि की तारीफ़ किये बिना नहीं रहा जा रहा है । इसलिए 'आप कहती रहिए' हम सुन रहे हैं ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.com